यूजीसी ने राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों को पीएचडी नामांकन के लिए रोका

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी विनियमों के प्रावधानों और शैक्षणिक मानदंडों का पालन नहीं करने वाले राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। आयोग ने तीनों विश्वविद्यालयों पर अगले पांच साल तक पीएचडी के लिए दाखिला करने पर रोक लगा दी है।

यूजीसी के चेयरमैन एम. जगदीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को पीएचडी कार्यक्रमों में उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। यूजीसी उन संस्थानों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेगा जो यूजीसी के पीएचडी नियमों का पालन करने में विफल रहते हैं। हम कुछ अन्य विश्वविद्यालयों में पीएचडी कार्यक्रमों की गुणवत्ता की जांच करने की प्रक्रिया में भी हैं। अगर वे पीएचडी नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे गलत संस्थानों को चिन्हित करना और उन्हें पीएचडी छात्रों को प्रवेश देने से रोकना आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय उच्च शिक्षा की अखंडता और वैश्विक प्रतिष्ठा से कोई समझौता न हो।

यूजीसी सचिव मनिष आर. जोशी की ओर से गुरुवार को जारी एक नोटिस में कहा कि आयोग ने ओपीजेएस विश्वविद्यालय (चूरू), सनराइज विश्वविद्यालय (अलवर) और सिंघानिया विश्वविद्यालय (झुंझुनू) को अगले पांच वर्ष यानी शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक पीएचडी कार्यक्रम के तहत दाखिला देने से रोक दिया है। ये तीनों विश्वविद्यालय राजस्थान के हैं।

यूजीसी के नोटिस में कहा गया है कि यूजीसी की स्थायी समिति ने पाया कि तीन विश्वविद्यालयों ने यूजीसी पीएचडी विनियमों के प्रावधानों और पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए शैक्षणिक मानदंडों का पालन नहीं किया। आयोग ने स्थायी समिति की सिफारिशों के मद्देनजर यह निर्णय लिया है। इन विश्वविद्यालयों को यूजीसी के इस निर्णय के बारे में सूचित कर दिया गया है। यूजीसी ने भावी छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी है कि वे अब से इन तीनों विश्वविद्यालयों के प्रस्तावित पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश न लें। यूजीसी की मंजूरी के अभाव में तीनों विश्वविद्यालयों की पीएचडी को उच्च शिक्षा और रोजगार के उद्देश्य से वैध नहीं माना जाएगा।

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