ED की छापेमारी से पहले किन तैयारियों में जुटे थे IAS छवि रंजन

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Ranchi: आईएएस छवि रंजन के आवास समेत 22 ठिकानों पर बीते गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की टीम ने छापेमारी की. मिली जानकारी के अनुसार यह छापेमारी बारियातू स्थित सेना की जमीन खरीद बिक्री मामले में हुई है. ईडी की टीम ने झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में एक साथ 22 ठिकानों पर छापेमारी की थी. वहीं, जानकारी के मुताबिक, जमशेदपुर के कदमा स्थित छवि रंजन के आवास पर ईडी की टीम नोट गिनने वाली मशीन के साथ पहुंची थी. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक छवि रंजन ने अपने मास्टर बेडरूम के फ्लैट के अंदर स्पेशल सेफ्टी (तीन अलग-अलग दरवाजा) का इंतजाम किया था. ईडी की टीम ने आदित्यपुर स्थित उनके रिश्तेदार को यहां बुलाकर फ्लैट को खुलवाया है. बता दें कि रिश्तेदार फ्लैट का केयरटेकर भी था.

16 घंटे तक चली छापेमारी

कदमा थाना अंतर्गत मिलकित होटल के बगल में लोंगिया एनक्लेव में रांची के पूर्व उपायुक्त रहे छवि रंजन के फ्लैट पर लगातार ईडी की छापेमारी चल रही थी. वहीं छवि रंजन के पिता आरडी पंडित के घर में सुबह 6:30 बजे ईडी की टीम पहुंची थी. वहीं, छवि रंजन के पिता एक महीने पहले से ही कहीं बाहर गए हुए हैं, तो आदित्यपुर स्थित उनके करीबी को बुलाकर ईडी ने फ्लैट खुलवाया. जिसके बाद 8:30 बजे से ही छापेमारी शुरू हुई जो की 16 घंटे तक चली. बता दें कि रांची के 20 ठिकानों पर और ईडी की छापेमारी चली. जिसमें रांची के पूर्व डीसी छविरंजन के साथ-साथ जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें नामकुम सीओ विनोद प्रजापति, बड़गाई सीओ भानू प्रताप, जमीन कारोबारी अशरफ खान उर्फ चुन्नू खान, हजारीबाग में प्रज्ञा केंद्र संचालित करने वाले भरत प्रसाद सहित कई लोगों के यहां छापेमारी की गई है.

पहली छापेमारी के बाद छवि रंजन डरे सहमे हुए थे 

इस जमीन फर्जीवाड़े का पर्दाफाश पहले ही आयुक्त की जांच रिपोर्ट में हो चुका है. सेना के कब्जे वाली जमीन की खरीद-बिक्री मामले में जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आ चुकी है कि प्रदीप बागची नाम के शख्स ने फर्जी रैयत बनकर दिलीप कुमार घोष को यह जमीन बेची थी.सेना की जमीन खरीद बिक्री मामले में ईडी की पहली छापेमारी के बाद रांची के तत्कालीन उपायुक्त .छवि रंजन डरे सहमे हुए थे इसलिए उन्होंने अपने बचाव की तैयारियां भी शुरू कर दी थी इसी दौरान उन्होंने जमीन प्रकरण में ईडी के द्वारा पूछे जाने वाले संभावित जवाब भी तैयार कर लिए थे, बीते गुरुवार को हुई छापेमारी के दौरान छवि रंजन के मोबाइल में इसका ब्यौरा भी मिला है. वह सवाल थे.

Q1..वर्तमान केस के बारे में आपकी क्या जानकारी है ?

Ans….इस मामले से जुड़े दस्तावेज देखने के बाद ही सही सही जानकारी दी जा सकती है..

Q2…. इस केस में डीसी की क्या भूमिका है?

ANS…82/83 के तहत संबंधित सेल डीड को रद्द करने की कार्रवाई तक सीमित है?

Q3… तथ्यों और बयान से इस बात की जानकारी मिलती है कि इस पूरे प्रकरण में आपने अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर भी भारी दबाव डाला था ?

Ans..डीसी के पास विधि व्यवस्था सहित अन्य प्रकार के बहुत सारे काम रहते हैं वर्तमान मामला इस तरह के कार्यों के दौरान बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होता है यह एक सामान्य प्रक्रिया के तहत पूरी होती है जहां तक मेरे द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर दबाव देने का मामला है वह पूरी तरह निराधार है इस तरह के रद्द करने का अधिकार सब रजिस्ट्रार के पास भी होता है. इसके बावजूद इन लोगों द्वारा खुद को बचाने और उपायुक्त पर पूरी जिम्मेदारी डालने के लिए इस तरह के बयान दिए हैं.
Q4.. इस मामले में किस तरह की प्रक्रिया अपनाई गई.

Ans.. इस तरह के मामले में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का विस्तृत उल्लेख नियम कानून में मेरी जानकारी में इस मामले में पूरी ईमानदारी के साथ सभी प्रक्रिया का पालन किया गया है..

Q5… डीसी के रूप में आपके कार्यकाल के दौरान ऐसे कितने मामले सामने आए?

Ans..मैंने रांची के उपायुक्त का पद 2022 में छोड़ दिया अब मुझे याद नहीं है कि उस वक्त मेरे सामने कितने मामले आए और मैंने क्या फैसला किया मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मैंने डीसी के चुनौतीपूर्ण कार्यों को पूरी ईमानदारी से निभाया.

Q6.. कोलकाता में प्रदीप बागची के मामले में जांच की मांग को लेकर आपके सामने यह मामला कब आया?

Ans… पहले आप मुझे वह आवेदन दिखाएं इसके बाद ही मैं अपने दिमाग पर जोर देकर याद करने के बाद कुछ कह सकता हूं मुझे जहां तक याद है कि जब अधिकारी नहीं कोलकाता में जांच करने का प्रस्ताव पेश किया था उस वक्त उसने जरूर खर्चे के लिए ₹50,000 अग्रिम की मांग की थी करीब 3 महीने के बाद में सामने इस मांग को पेश किए जाने के बाद मैंने अग्रिम की राशि को 50000 से घटाकर 15000 कर दिया इससे यह साफ है कि मैंने जल्दबाजी में कोई काम नहीं की.

Q7… क्या किसी अधिकारी या राजनेता ने दबाव दिया?
Ans… नहीं इस मामले में मुझे किसी अधिकारी ने कुछ नहीं कहा ना ही किसी राजनीतिज्ञ ने दबाव डाला.

बता दें कि इस मामले में ED अपनी अगली कार्रवाई में जूट चुकी है. अभी तक जमीन घोटाले मामले में ED ने 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. खबर लिखने तक सभी को कोर्ट ले जाने की तैयारी चल रही है. 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती की छुट्टी है. मजिस्ट्रेट कॉलनी में इस मामले में सुनवाई होनी है. झारखंड कैडर के 2011 बैच के IAS अधिकारी छवि रंजन अपने कारनामों के कारण शुरू से ही विवादों में रहे हैं. झारखंड विधानसभा के पिछले साल बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान इनके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर रांची के विधायक और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सीपी सिंह ने सनसनी फैला दी थी.

सीपी सिंह के आरोपों पर राज्य सरकार के पूर्व मंत्री और खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने अधिकारी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की मांग उठाई थी. साल 2021 में एक संवेदक ने हथियार का लाइसेंस देने के बदले छवि रंजन पर पांच लाख रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन आयुक्त और रांची के तत्कालीन वरीय पुलिस अधीक्षक को शिकायत की थी. हालांकि बाद में वह इससे मुकर गया. इसके अलावा रांची में तैनाती के दौरान हाई कोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने इनपर धमकी देने का आरोप लगाया था. उन्होंने हाई कोर्ट में इसकी लिखित शिकायत भी की थी. हाई कोर्ट ने इसे लेकर उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी.

पेड़ों को काटने का आदेश देने का लगा था आरोप 

2015 में कोडरमा में उपायुक्त के पद पर तैनाती के दौरान मरकच्चो जिला परिषद डाकबंगला परिसर में लगे पेड़ों को काटने का आदेश देने का आरोप छवि रंजन पर लगा था. यह मामला विधानसभा में उठा तो खूब हंगामा हुआ. आरोपों के कारण राज्य सरकार ने उनका स्थानांतरण कर दिया था. ACB की पूछताछ में छवि रंजन के अंगरक्षक रहे कृष्ण वर्मा ने इसे स्वीकार किया था. उसके मुताबिक छवि रंजन के आदेश पर तत्कालीन अंचलाधिकारी, दो चौकीदारों और दो स्थानीय लोगों की मौजूदगी में पेड़ काटे गए थे. जब मामले का खुलासा हुआ तो पेड़ दूसरे स्थान पर फेंक दिए गए. फिलहाल यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है.

महंगी शराब से लेकर कीमती मोबाइल तक उपहार के तौर पर मिले

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक IAS छवि रंजन को उपहार में महंगी शराब और मोबाइल लेना ज्यादा पसंद था. छवि रंजन को महंगी शराब से लेकर कीमती मोबाइल तक उपहार के तौर पर मिले हैं. उन्होंने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार मंत्रालय को दाखिल सूची में इसका उल्लेख भी किया है. जानकारी के लिए बता दें कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए हर वर्ष ब्योरा देना अनिवार्य है. छवि रंजन ने मंत्रालय को दी गई जानकारी में स्वीकार किया है कि शराब की बोतलें, महंगे आइफोन से लेकर कैमरा, टैब, लकड़ी के बने बेड और डायनिंग टेबल उन्हें उपहार में मिले हैं. IAS छवि रंजन को कर्नाटक चुनाव में ऑब्जर्वर बनाया गया था लेकिन उनके घर पर हुई ईडी की छापेमारी की सूचना मिलने के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें चुनाव कार्य से फिलहाल मुक्त कर दिया है.