करम पर्व को आपसी भाईचारगी प्रेम के साथ नशा मुक्त होकर पर्व मनाएं यही मेरी शुभकामनाएं हैं: डॉ रामेश्वर

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लोहरदगा: केंद्रीय सरना समिति लोहरदगा के तत्वाधान में करम पूर्व संध्या सांस्कृतिक समारोह का आयोजन बी• एस• कॉलेज मल्टीपरपस हॉल में भाव्य रूप से आयोजित की गई।‌ कार्यक्रम की शुरुआत बीएस कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य शिव कुमार प्रसाद , शशि कुमार गुप्ता एवं समाज के प्रबुद्ध जनों के द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर की गई, तत्पश्चात बालिकाओं के द्वारा प्रार्थना एवं स्वागत गान प्रस्तुत की गई। स्वागत भाषण समिति के मुख्य संरक्षक मनी उरांव के द्वारा दिया गया करमा पर्व पर संक्षिप्त परिचय समिति के संस्थापक सदस्य अनिल कुमार भगत के द्वारा दिया गया। कार्यक्रम में बडों का सामूहिक, बच्चों का सामूहिक, एकल बडों का, एकल बच्चों का लगभग 40 खोडहा नृत्य मंडलियों ने प्रतिभागी के रूप में भाग लिया । सभी मंडलियों ने करम से संबंधित विभिन्न स्वरूपों को प्रदर्शित करते हुए गीत- संगीत,माअंदर के थाप एवं नगाड़े की गूंज पैरों की थीरकन के माध्यम से अपने पूर्वजों के धरोहर को संजोकर रखने का काम किया आयोजन समिति की ओर से पुरस्कार स्वरूप क्रमशः प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि डॉक्टर रामेश्वर उरांव वित्त मंत्री झारखंड सरकार, विशिष्ट अतिथि रीना कुमारी भगत, जिला परिषद अध्यक्ष राधा तिर्की, प्रभारी प्राचार्य एसकेपी गुप्ता, वरिष्ठ प्रोफेसर शशि कुमार गुप्ता, उपस्थित हुए सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ,बैज एवं अंग वस्त्र प्रदान कर स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि ने कहा कि हम आदिवासी समाज प्राकृतिक के पूजक है।‌ कर्म पर्व हमें प्राकृतिक के संरक्षण की प्रेरणा देता है । कर्म परब हमें प्राकृतिक से जुड़ाव क भी संदेश देता है हम सभी लोग विभिन्न त्योहारों के माध्यम से प्राकृति का आभार प्रकट करते हैं। पूरी दुनिया की सभी चीज प्राकृतिक पर ही आधारित है। प्राकृतिक को हमेशा संरक्षित करना चाहिए ताकि हम संरक्षित हो सके जितने भी दुनिया में जीव जंतु पेड़ पौधे नदी नाला सभी को संरक्षित करने की जरूरत है, तभी इस दुनिया की सृष्टि बच पाएगी करम वृछ का जो हम लोग पूजा अर्चना करते हैं जो दुनिया की पेड़ पौधों में सर्वश्रेष्ठ है। जिनसे हमें 24-आपके घंटे आक्सीजन प्रदान करती है करम परब प्राकृतिक पूजा के रूप में भाई-बहन की प्रेम सद्भाव का भी संदेश देता है इसलिए पूर्वजों की परंपरा रीति रिवाज और धरोहर को जानने समझने की जरूरत है हमारे पूर्वज अनपढ़ थे पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन अपने आप में वो साइंटिस्ट थे। धरती मे सर्व प्रथम अन्न आया वो है जौ जिनका महिमा स्तुति करम परब में माता- बहने जवा फूल के रूप अर्पित करती है इसलिए करम पर्व को आपसी भाईचारगी प्रेम के साथ नशा मुक्त होकर पर्व मनाएं यही मेरी शुभकामनाएं हैं।‌ कार्यक्रम में पूना घोख पत्रिका का तीसरा संस्करण का सम्पादक संजय उरांव एवं मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं समाज के प्रबुद्ध जनों द्वारा विमोचन किया गया समारोह में मुख्य रूप से प्रोफेसर डॉक्टर लोहरा उरांव, राधा तिर्की, रूबी कुमारी, शंकर भगत सुखदेव उरांव बिफैइ उरांव, अनिल कुमार भगत, रघु उरांव, वकील भगत चोन्हस उरांव, संजय उरांव, शशि कुमार भगत, विनोद भगत, गोसाई उरांव, मतलू उरांव, लक्ष्मी नारायण भगत, बालकिशन उरांव, अमित उरांव , पुंकेस उरांव, कमलेश उरांव, सुरेंद्र भगत, सोमदेव उरांव, विजय उरांव संजीव उरांव सोमे उरांव, फूलचंद उरांव, महादेव उरांव, अवधेश उरांव, प्रेम प्रकाश भगत, शुद्ध हुआ उरांव ,गीता कुमारी, संतोषी लकड़ा पुष्पा, लकड़ा दीपक, उरांव संतोषी कुमारी रोहिणी कुमारी, अनीता उरांव, राखी उरांव ,बालमुनि उरांव, बेरी उरांव, सुदामा, बुद्धिजीवी गन एवं सभी छात्रावास के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।