सामाजिक कार्यकर्ता को झूठे केस में फंसाने में माहिर है पुलिस: सैयद अरशद नसर

Crime
  • दंगा के मास्टरमाइंड घोषित हुए अरशद
  • अरशद ने हुंकार भरा नहीं झुकेंगे पुलिस के गुंडागर्दी के आगे।

SUNIL KUMAR GAUTAM

साहिबगंज:  बीते अप्रैल माह में चैती दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान शहर के कुलीपाड़ा में हिंदु- मुस्लिम समुदाय में दोनों पक्षों की ओर से हुए जमकर पत्थर बाजी आगजनी फायरिंग से कई वरीय पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी व आम लोग घायल हो गए थे जिसको लेकर नगर थाना में दोनों पक्षों के दर्जनों नामजद व सैंकड़ों अज्ञात लोगों पर कांड संख्या – 27/23 दर्ज कर दोनों पक्ष के दर्जनों लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था.अनुसंधान के क्रम में पुलिस ने पर्यावरण प्रेमी सह जिले के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता बिहार के शेखपुरा जिला निवासी सैयद अरशद नसर को दंगा का मास्टरमाइंड घोषित करते हुए केस डायरी में आरोपी बना दिया गया.इसकी जानकारी अरशद को मिलने पर पुलिस की इस कार्यशैली पर ताज्जुब प्रकट करते हुए पुलिस के इस रवैए को अत्यंत ही घिनौना कार्य बताते हुए कहा है कि मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं मेरा काम समाज को जोड़ना है न की तोड़ना.पुलिस की इस कार्यशैली पर नाराज़गी प्रकट करते हुए कहा है कि एक तरफ़ नगर थाना मुझे शान्ति समिति की बैठक में बुलाती है तो दूसरी तरफ़ यही पुलिस मुझे दंगे का मास्टरमाइंड घोषित करती है.पुलिस का ये रवैया बताती है कि दाल में कुछ काला नहीं पुरा दाल ही काला है.नसर ने कहा की मेरा इतिहास सामाजिक कार्यों से भरा पड़ा है व मैं बिहार के शेखपुरा जिला का निवासी और मेरा एक हाईप्रोफाइल मामला जिले के ऐतिहासिक राजमहल पहाड़ को बचाने व संवर्धन हेतु व अवैध खनन क्रशर व परिवहन पर पुरी तरह से रोक लगाने के लिए एनजीटी प्रधान बेंच नई दिल्ली में सुनवाई चल रही है.जिससे भ्रष्ट पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी व पत्थर माफियाओं व कारोबारियों को भारी दिक्कत व परेशानी उठानी पड़ रही है.नसर का कहना है की इन्हीं लोगों ने पुलिस से सांठ-गांठ कर सुनियोजित साजिश के तहत मुझे इस दंगा कांड में फंसाने का कुचक्र रचा गया है ताकि मैं दबाव में आकर एनजीटी में चल रहे मुकदमे से पीछे हट जाऊं पर भ्रष्ट पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी को पता होना चाहिए कि मेरा नाम अरशद है मैं सत्य की लड़ाई में अपनी जान कुर्बान कर सकता हूं पर झुकना मेरे ख़ून में ही नहीं है.दंगा कांड में अरशद का नाम आने से जिलेवासी भी भौंचक है कि आखिर ये साजिश किस ने रची.नसर का दंगा कांड में नाम आने की जानकारी होने के बाद ज़िले के कई बुद्धिजीवी सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस की इस कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए सरकार व वरीय पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए नसर को इंसाफ देने की मांग करते हुए दोषी पुलिस पदाधिकारी व इस षड्यंत्र में शामिल तत्वों की पहचान कर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.इधर अरशद ने इस मामले पर कहा है कि पुलिस अपनी इस जान-बूझकर किए गलती को अविलंब सुधार ले नहीं तो इंसाफ़ पाने के लिए सड़क से लेकर मीडिया तक मीडिया से लेकर वरीय पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी तक वरीय पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारी से लेकर न्यायालय तक में बिगुल फुंका जाएगा.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दंगे कांड में आरोपित बनाएं गये असद जैदी व नदीम जैदी का पुलिस ने कन्फेशन स्टेटमेंट लेकर इस दंगा कांड में अरशद को दंगा कांड का केस डायरी में मास्टरमाइंड घोषित किया है.इन दोनों ने पुलिस के समक्ष अपना जुर्म कबूल करते हुए इकबालिया बयान देते हुए कहा है कि वर्ष 2022 में बम काली प्रतिमा विसर्जन के दौरान एलसी रोड में हुए हिंदू-मुस्लिम समुदाय में हुए विवाद का बदला लेने के लिए अरशद नसर ने हम लोगों को प्रोत्साहित किया और हम लोगों को चैती दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में योजना बनाने के लिए प्रेरित किया तब हम लोगों ने और लोगों के साथ योजना बनाकर इस घटना को अंज़ाम दिया.इधर इन दोनों का कहना है कि पुलिस ने हम दोनों का सादा कागज़ में हस्ताक्षर लेकर अरशद को फंसाने के लिए ऐसा ब्यान दर्ज कर लिया है जबकि हम दोनों ने ऐसा कोई ब्यान दिया ही नहीं है.अरशद को फंसाने के चक्कर में इस मामले में खुद पुलिस ही फंसती नज़र आ रही है.अब सबकी नजरें पुलिस व अरशद की इस लड़ाई पर टिक गई है कि आख़िर सच की जीत होती है या झूठ की.पुलिस के इस गैर जिम्मेदाराना रवैया पर नसर ने कहा है की सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं।

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