बीएयू में फसल सुधार सेमिनार का समापन,बोले
Sunil Verma
रांची : प्रसिद्ध पौधा आनुवंशिकी विशेषज्ञ और बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त डीन डॉ जेडए हैदर ने कहा है कि आनेवाले समय में झारखंड में भूमिगत जल सर्वाधिक तेजी से घटेगा इ सलिए कम पानी में और शीघ्र तैयार होने वाली फसल किस्मों के विकास और प्रयोग पर प्रयास केंद्रित करना चाहिए। डॉ हैदर बीएयू में फसल सुधार के लिए पौधा विज्ञान की चुनौतियां, अवसर और रणनीतियां’ विषय पर आयोजित दोदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार का आयोजन इंडियन सोसाइटी आॅफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग के रांची चैप्टर द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि राजस्थान और अफ्रीका में ज्यादा तापक्रम में अच्छी उपज देने वाली फसल किस्मों और एनबीपीजीआर के पास उपलब्ध जंगली प्रभेदों के इस्तेमाल की तकनीक पर शोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेमिनार की मुख्य अनुशंसाओं को राज्य सरकार को भेजा जाना चाहिए ताकि सरकार उसके आलोक में अपनी कुछ नीति और योजनाएं बना सके। मुख्य वैज्ञानिक डॉ डीएन सिंह ने देश का बड़ा भूभाग अम्लीयता से प्रभावित होने के कारण पौधा प्रजनन विशेषज्ञों को मिट्टी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर अम्लीयता सहिष्णु तथा पोषक तत्वों के प्रति रेस्पॉन्सिव फसल प्रभेदों के विकास पर काम करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में कृषि कार्य के लिए उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण विषय होगा इसलिए कृषि अनुसंधान में लगे विभिन्न संस्थानों को मिलकर बहुविषयी अनुसंधान करने का मेकैनिज्म विकसित करना चाहिए। बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह ने पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बायोफोटीर्फाइड फसल किस्म के विकास पर जोर दिया। कृषि संकाय के डीन डॉ डीके शाही ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसल किस्मों को पर्याप्त मात्रा में किसानों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार से प्रभावित संवाद करने पर बल दिया।
समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने तथा रांची चैप्टर की सचिव डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती ने भी अपने विचार रखे। संचालन शालवी ऐश्वर्या राय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ नीरज कुमार ने किया।