बेटियों को सशक्त बनाने की शुरूआत घर के संस्कारों से होती है: किरण कुमारी
Eksandesh Desk
कोडरमा: रमेश प्रसाद यादव शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में शनिवार को महाविद्यालय के सभागार में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एकदिवसीय महिला सशक्तिकरण विषयक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका थीम “Women empowerment in the 21st century : A path way to developed India @2047 जिसमें की-नोट स्पीकर के रूप में अतिथि के रूप में किरण कुमारी पूर्व सदस्य झारखंड राज्य महिला आयोग, रूपा सामंता निदेशक द नंद एन्ड सामंत कंपनी, डॉ. शालिनी खोवाला प्राचार्य स्कॉलर बीएड कॉलेज, बेंगाबाद गिरिडीह; कांति देवी, निवर्तमान नगर अध्यक्ष, कोडरमा: अर्चना अधिकारी प्राचार्य आरपीवाई ग्लोबल स्कूल, चाराडीह कोडरमा, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. लक्ष्मी सरकार मौजूद रहीं।
कार्यक्रम का अतिथियों व प्राचार्य द्वारा मां सरस्वती की छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर व द्वीप प्रज्वलन के साथ किया गया। सबसे पहले अतिथियों स्वागत टीका लगाकर, शॉल, पौधा और पुष्पगुच्छ देकर किया गया। इसके बाद प्रशिक्षु स्मृति एन्ड ग्रुप ने स्वागत गान से अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात सहायक प्राध्यापक राजेश पांडेय ने अथितियों का परिचय व कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराया। इसके अलावा प्रशिक्षुओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति भी की गई जिसमें ऐहे रे मोर झारखंड के धुन पर नृत्य की प्रस्तुति पर अंजलि एन्ड ग्रुप ने सबों की तालियां बटोरी। वहीं बेटी पढ़ाओ आगे बढ़ाओ पर नाटक मंचन की प्रस्तुति की गई। सोनाली एण्ड ग्रुप ने स्त्रोतम पंचकन्या पर अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद प्रशिक्षु रौशनी महतो ने क्योंकि मैं लड़की हूँ पर कविता वाचन किया। वहीं मुस्कान एण्ड ग्रुप ने बेखौफ आजाद जीना है मुझे पर नृत्य की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथि किरण कुमारी (अधिवक्ता) ने कहा कि, महिलाओं की सुरक्षा के लिए संवधिान एवं सरकार ने अनेक कानून बनाये हैं। हमें कानूनों को जानने और समझने की आवश्यकता है। उन्होंने महिलाओं से जुड़ी हुई समस्याओं जैसे यौन शोषण, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, आदि से संबंधी समस्याओं और निराकरण का हल भी बताया। उन्होंने कहा कि, लड़कियों को अपनी आवाज खुद उठानी होगी, महिला पुरूष बराबर हैं। हमें बेटियों को सशक्त बनाने की शुरूआत घर से ही संस्कारों द्वारा की जा सकती है। समाज को अपनी सोंच बदलना होगा क्योंकि महिलाओं में पुरूषों की तरह ही कार्यक्षमता है इसमें कोई संदेह नहीं है।
वहीं रूपा सामंता ने कहा कि, महिलाएं अपने आप में सक्षम और परिपूर्ण हैं, बशर्ते उन्हें अपनी आवाज बुलंद करने और अपने सपनों को पंख देने की जरूरत है। आप घर की सारी जिम्मेदारी को निभाने के साथ-साथ अपने हौसलों को बुलंद कर अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। उन्होंने अपने खुद के जीवन के संघर्षों के माध्यम से छात्रा प्रशिक्षुओं को प्रेरित किया।
डॉ. शालिनी खोवाला ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अंतर को समझाते हुए कहा कि, राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 13 फरवरी को सरोजिनी नायडू के जन्मदिन पर मनाया जाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के शोषण के विरूद्ध 1909 में न्यूयार्क में पहली बार पन्द्रह हजार महिलाओं ने आवाज उठाई। मार्च 1911 में अधिकांश यूरोपियन देशों में महिला दिवस मनाया गया। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 1975 में 8 मार्च को अधिकारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की घोषणा की तभी से भारत एवं दुनिया के सभी देशों में महिलाओं को सम्मान देने के लिए महिला दिवस मनाया जाने लगा। यह दिन न केवल महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और योगदान को पहचानने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हमें महिला सशक्तिकरण को लेकर कई सारे कदम उठाने की जरूरत है। नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। कांति देवी ने कहा कि, महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उन्हें सम्मान देना है। महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, विज्ञान हो या खेल का मैदान। आज कोडरमा की ही बात करें तो यहां राजनीति में भी महिला आगे है, समाजसेवी के रूप में महिला आगे और संवैधानिक पदों पर भी महिलाएं आसीन हैं। आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं।
मौके पर सहायक प्राध्यापक डॉ. संजीव कुमार, राजेश पांडेय, मो.सेराज, विनोद यादव, सैयद खुर्शीद अली, अनिल कुमार, हरचरण सिंह, कमलेन्द्र नाथ त्रिपाठी, जगदीप सिंह, खामा रानी महतो, जयन्ती कुमारी, शिक्षकेत्तर कर्मचारी मिथलेश कुमार, सुजीत कुमार, श्रवण कुमार, शाहिद खान, गौरव कुमार, राजकुमार यादव, कुंदन कुमार, चंदन कुमार, अरमान अंसारी, प्रशिक्षु.