भाजपा ने डीजीपी की नियुक्ति पर निशाना साधा
Sunil
रांची : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने डीजीपी नियुक्ति मामले में राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधाते हुए कहा कि झारखंड की जनता को धोखे में रखकर हेमंत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुलेआम उल्लंघन किया है। राज्य सरकार ने न सिर्फ संविधान की मयार्दाओं को तोड़ा है बल्कि राज्य की पुलिस प्रशासन व्यवस्था को अपनी राजनीतिक साजिशों का हथियार बना लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006में प्रकाश सिंह केस की सुनवाई करते हुए निर्देश दिया था कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के अनुशंसित पैनल से होगी। फिर भी हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से अनुराग गुप्ता को डीजीपी बना दिया,जिनका नाम यूपीएससी के अनुशंसित सूची में नहीं था। उक्त बातें भाजपा कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने प्रेसवार्ता के दौरान बुधवार को कही ।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है कि जबतक राज्य सरकार कोई नया कानून नहीं बनाती तबतक यूपीएससी की प्रक्रिया से ही नियुक्ति होगी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझने लगे। उन्हें कार्यकारी आदेश और अधिनियम में अंतर पता नहीं। राज्य सरकार ने 2025में एक नियमावली बना दिए जबकि की अधिनियम पारित नहीं हुआ। कोई भी सरकार पहले एक्ट बनाती है तब वह रूल्स बनता है।यह यदि एक्ट पारित नहीं हुआ तो रूल्स कैसे बन गया। राज्य सरकार ने 2025 की नियमावली को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करने की कोशिश क्यों और कैसे की और राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस अवैध प्रक्रिया को कैसे अनुमति दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री न्यायालय के आदेश पर भी दोहरी नीति अपनाते हैं। अपने को निर्दोष बताने केलिए हाइकोर्ट की टिप्पणियों का सहारा लेते हैं जबकि दूसरी ओर सत्ता चलाने में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हैं। उन्होंने कहा झारखंड हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के द्वारा न्यायपालिका को कमजोर करने की साजिश की गई है। डीजीपी की अवैध नियुक्ति प्रक्रिया में झारखंड उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश शामिल बताए जा रहे। अगर पूर्व न्यायाधीश खुद राज्य सरकार के अवैध कार्यों में शामिल हो जाएंगे तो न्यायपालिका की निष्पक्षता पर क्या असर पड़ेगा। अनुराग गुप्ता चुनावी कदाचार में लिप्त थे, दो वर्षों तक निलंबित भी रहे हैं। उनके खिलाफ एफ आई आर तक दर्ज हुआ। वे राज्य के सबसे विवादित आईपीसी पदाधिकारी है। इन्हें चुनाव कार्य से भी मुक्त रखा गया था फिर हेमंत सरकार ने ऐसे भ्रष्ट ,दागदार और विवादास्पद पदाधिकारी को डीजीपी क्यों बनाया।
