बड़ा तालाब से गाद-जलकुंभी निकालने के लिए सरकार क्या प्रक्रिया अपना रही है : हाई कोर्ट

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Eksandeshlive Desk

रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को जल स्रोतों, नदियों और रांची के बड़ा तालाब की साफ-सफाई एवं संरक्षण के संबंध में स्वतः संज्ञान लेते हुये सुनवाई की है। मामले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से रांची के बड़ा तालाब एवं हरमू नदी की सफाई पर जवाब-तलब किया। खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि बड़ा तालाब से गाद निकालने और जलकुंभी निकालने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है? हरमू नदी में नालों का गंदा पानी न जाए इसके लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? रांची उपायुक्त (डीसी) से कोर्ट ने यह भी पूछा है कि रांची के जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाने के लिए क्या कार्रवाई की जा रही है? खंडपीठ ने कोर्ट के इस आदेश की जानकारी राज्य के मुख्य सचिव को भी देने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।

मामले में राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर हरमू नदी की साफ-सफाई पर विस्तृत जानकारी दी गई। इससे पूर्व रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने कोर्ट को बताया कि हरमू नदी की समय-समय पर सफाई कराई जा रही है, हरमू नदी में नालियों के माध्यम से सॉलिड वेस्ट ना जाए, इसे लेकर जगह-जगह नाली में जाली बनाया जाएगा। बड़ा तालाब से समय-समय पर जलकुंभी निकाली जा रही है और इसमें नालियों से गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर साफ पानी को ही जाने दिया जा रहा है। पिछली सुनवाई में हस्तक्षेपकर्ता झारखंड सिविल सोसाइटी की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि बड़ा तालाब की गहराई में जमे गाद को जबतक नहीं निकाला जाएगा, तबतक पूरी तरह से इसकी सफाई नहीं हो सकेगी। उनकी ओर से यह भी बताया गया कि हरमू नदी में लोगों के घर से निकला कचरा जा रहा है, ऐसे में नदी की सफाई भी जरूरी है। इस पर सरकार की ओर से बताया गया था कि बड़ा तालाब में वर्षों से जमे गाद को निकालने के लिए नगर विकास विभाग ने जुडको से संपर्क किया था, लेकिन जुडको ने इसमें विशेषज्ञता नहीं होने की बात कहते हुए असमर्थता जताई है। इसके बाद नगर विकास विभाग की ओर से जल संसाधन विभाग को बड़ा तालाब से गाद निकालने के संबंध में पत्र लिखा गया है। उल्लेखनीय है कि रांची के जलस्रोतों के अतिक्रमण और साफ-सफाई से संबंधित प्रकाशित खबर को झारखंड हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था। पूर्व में कोर्ट ने सरकार को राज्य के सभी जिलों में जलस्रोतों के संरक्षण, अतिक्रमण, जल की स्थिति आदि के बारे में अद्यतन जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।