बाल श्रम उन्मूलन के लिए बालक के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक परिवेश को समझने की आवश्यकता: दिलीप प्रताप सिंह शेखावत

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लोहरदगा: महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग लोहरदगा के तत्वाधान में 1 जून से 30 जून तक बाल एवं कौमार्य श्रम का पैन इंडिया बचाओ एवं पुनर्वास अभियान के संचालन के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन जिला परिषद के सभाकक्ष आयोजित की गयी। कार्यशाला में मुख्य अतिथि उप-विकास आयुक्त दिलीप प्रताप सिंह शेखावत ने कहा कि बाल श्रमिक के उन्मूलन से पहले उस परिवार की सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक परिवेश को समझने की आवश्यकता है। बाल श्रमिक को विमुक्त किये जाने के उपरांत उस बालक एवं उसके परिवार को समाज में उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रावधानों के तहत उस बालक को उचित सामाजिक एवं आर्थिक सहायता मिले। उन्होंने सभी विभाग के पदाधिकारियो से समन्वय स्थापित कर कार्य करने को कहा ताकि चलने वाला मिशन सफलता पूर्वक संचालित हो सके। उन्होंने पदाधिकारियों को अपने-अपने दायित्वो के अनुरूप क्षेत्र भ्रमण कर बाल श्रमिकों को चिन्हित करने का निर्देश दिया। उप विकास आयुक्त ने कहा कि बाल श्रमिक के माता-पिता और उनके परिवार का भी काउंसलिंग करने की आवश्यकता है। जिसमें की उनके सोच में सकारात्मक परिवर्तन हो। उन्होंने कहा कि विमुक्त किये गये बाल श्रमिकों के विकास में रोल मॉडल के रूप में प्रसारित करने की जरूरत है ताकि यह दूसरे के लिए भी प्रेरणा बन सके। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सीता पुष्पा ने कहा कि मिशन की सफलता के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने सभी विभाग के दायित्वों से एक-एक कर विस्तार पूर्वक बताया साथ ही कहा कि बाल श्रम उन्मूलन के क्षेत्र में जिला का नाम राज्य में अग्रणी पंक्ति में हो। इससे पूर्व राज्य के बचपन बचाओ के समन्वयक ब्रजेश मिश्र ने पावर पॉइंट के माध्यम से बाल एवं कौमार्य श्रमिक के प्रतिबंध अधिनियम के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इस बैठक में जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी शिवनन्दन बड़ाइक, श्रम अधीक्षक दीप्ति लोरी तिर्की, बाल कल्याण समिति की सदस्य मनोरमा मिंज, सुशीला कुमारी, पूजा कुमारी, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य कौशल किशोर समेत अन्य उपस्थित थे।