Eksandeshlive Desk
पश्चिम सिंहभूम: सिंहभूम जिला के अत्यंत नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल में भारी बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। हतनाबुरू और मारागपोंगा गांव के बीच मुख्य ग्रामीण सड़क पर पहाड़ की मिट्टी धंसकर आ गिरी। यह वही सड़क है जो कई गांवों को आपस में जोड़ती है और सारंडा के लोगों के जीवन की धड़कन मानी जाती है। पर अब वहां सिर्फ कीचड़, पत्थर और मलबा पसरा है।
शनिवार को छोटानागरा में साप्ताहिक हाट बाजार लगता है। यह वही बाजार है जहां सारंडा के लोग अपने खेतों की सब्जियां, जंगल का महुआ, साल पत्ता, तसर और लकड़ी बेचकर चूल्हा जलाने के लिए पैसा जुटाते हैं। लेकिन सड़क बंद होते ही यह धंधा चौपट हो सकता है। एक किसान नाथु बहंदा ने रोष जताते हुए कहा हमारा पेट पर वार कर दिया यह वर्षा। जब रास्ता ही बंद, तो बाजार कैसे पहुचेंगें। सड़क ठप होने से बच्चे अब स्कूल नहीं पहुंच सकते। बारिश से पहले जहां किसी तरह साइकिल या पैदल बच्चे स्कूल जाते थे, वहीं अब उनके कदम गांव की गलियों तक सीमित हो गए हैं।
सारंडा का इलाका घने जंगलों और ऊंचे-नीचे पहाड़ों से घिरा है। बारिश के मौसम में यहां अक्सर भूस्खलन होता है। लेकिन इन घटनाओं से निपटने के लिए न तो प्रशासन कोई स्थायी उपाय करता है और न ही सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल रखा जाता है। जरा सी बारिश होते ही सड़कें ध्वस्त और पहाड़ धंसने लगते हैं।