भारत अतीत में विश्वगुरु था और भविष्य में विश्वगुरु बनने को अग्रसर है : डा. तपन कुमार शांडिल्य

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Eksandeshlive Desk
रांची : डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के सभागार में विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दार्शनिक दिवस, 2024 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति डा. तपन कुमार शांडिल्य की अध्यक्षता में एक व्याख्यान सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर डा. श्यामल किशोर, सह प्राध्यापक, टीपीएस कॉलेज, पटना, विशिष्ट अतिथि के रूप में डा. एचपी नारायण, पूर्व विभागाध्यक्ष, न्यूरो सर्जरी, रिम्स, रांची और सारस्वत अतिथि के तौर पर पूर्व मानविकी संकायाध्यक्ष, रांची विश्वविद्यालय, डा. सरस्वती मिश्रा आमंत्रित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा. तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि आज भारतीय दार्शनिक दिवस की प्रासंगिकता इस बात से है कि यह आदि शंकराचार्य की जयंती से जुड़ा है। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने संबोधन में कहा कि दर्शनशास्त्र सभी विषयों की जननी है। उन्होंने इसी क्रम में यह भी कहा कि आज की युवा पीढ़ी को प्राचीन ग्रंथों, वेद और गीता को अधिकाधिक पढ़ना चाहिए ताकि हम अपने समृद्धशाली अतीत को जान सकें। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल में गौतम बुद्ध के समय विश्ववगुरु के रूप में जाना जाता था और जो भारत अतीत में विश्ववगुरु था, उसे आप विद्यार्थी अपने प्रयासों के द्वारा भविष्य में भी विश्ववगुरू बनाने में अपना सार्थक योगदान दे।
कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों के द्वारा आदि शंकराचार्य के चित्र पर माल्यार्पण के साथ की गई। इसके उपरांत डीएसपीएमयू के दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष डा.आभा झा ने अतिथियों का स्वागत किया और विषय प्रवेश कराते हुए आदि शंकराचार्य के जीवन वृत्त पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डा. धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने किया। मौके पर प्रॉक्टर डा. पंकज कुमार, डा. विनोद कुमार, डा. रेखा झा, डा. अनूप प्रसाद, डा. गुड़िया कुमारी के अलावा विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक और विद्यार्थी मौजूद थे। यह जानकारी पीआरओ प्रो राजेश कुमार सिंह ने दी।