Eksandeshlive Desk
रांची : प्रजापिता ब्रह्माकमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय चौधरी बगान, हरमू रोड में गीता जयन्ती के
अवसर पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने अपने उद्गार में कहा कि भारत कभी विश्व
गुरू था और वर्तमान में आशा की जा रही है कि भारत पूनः विश्व गुरू के पद पर आसिन
होगा। परंतु यह कब और कैसे होगा। श्रीमद भगवत गीता को सर्वशास्त्रमझई शिरोमणी कहा जाता
है अर्थात् गीता सभी शास्त्रों की जननी है। परंतु गीता को सभी धर्मों के लोग स्वीकार नहीं करते
हैं। गीता केवल हिन्दुओं का शास्त्र बन कर सीमित रह गई है। इसका कारण है गीता दाता के
नाम में भुल होना बाप के नाम के स्थान पर बच्चे का नाम डाल दिया गया है। इस एक भूल के
कारण ही गीता को सभी धर्म के लोग अपना धर्मशास्त्र नहीं मानते। गीता ज्ञान दाता निराकार
परमपिता शिव हैं न कि श्रीकृष्ण ।
निरकार को प्रायः सभी धर्म के लोग स्वीकार करते हैं। परंतु श्रीकृष्ण को गीता ज्ञान दाता
मान लेने से गीता का महत्व कम हो जाता है। गीता के भगवान को जानना परमात्मा को जानना
है। सर्वशास्त्रमई शिरोमणि गीता को ही विश्व का एक मात्र धर्मशास्त्र होना चाहिए। गीता के
भगवान साधारण वेश में अवतरित होते है जबकि श्रीकृष्ण जन्म लेते हैं। श्रीकृष्ण और परमात्मा
की महिमा में महान अंतर है। श्रीकृषण पावन थे पतित पावन नहीं। श्रीकृष्ण त्रिलोकीनाथ नही
वैकुण्ठनाथ थे। श्रीकृष्ण रचयिता नहीं रचना थे। श्ीकृष्ण पुर्नजन्म के चक्कर में आते हैं। गीता
ज्ञान श्रीकृष्ण नहीं ज्योतिबिंदु परमात्मा शिव ही सुनाते हैं। परमात्मा द्वापर में नहीं कलियुग के
अन्त में गीता ज्ञान सुनाते हैं। जब सृष्टि पर अति धर्म ग्लानी हो जाती है और पाप का घड़ा भर
जाता है तब इस सृष्टि रूपी कल्पवृक्ष का अविनाशी वीजरूप परमात्मा पुरानी सृष्टि के विनाश
और नई सृष्टि की पुनः स्थापना का कार्य करते हैं जो वर्तमान समय चल रहा है। गीता में
भगवनुवाच लिखा है श्रीकृष्णवाच नहीं लिखा है। जब भी हम भगवान, अल्लाह या ओ गोड कहते
हैं तो कोई भी चित्र या देवी देवता का चित्र नहीं याद आता है। इसका अर्थ है कि ईश्वर अलग
है और देवता अलग है। परमपिता परमात्म शिव ईश्वर है इन्हें ही अल्लाह ओ गोड फादर कहा
जाता है और श्रीकृष्ण सतयुग के प्रथम महाराजकुमार हैं।
जबतक हम गीता का भगवान शिव को नहीं मानेगें तब तक भारत विश्व गुरू की पदवी
नहीं पा सकेगा। भगवान ने अर्जुन से कहा कि तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो परंतु मैं
तुम्हारे सभी जन्मों को जानता हूँ । अब तक तुमने जो भी जाना है वह भूल जाओ और मैं जो
कहता हूँ वह सुनो। परमात्मा अभी हम से यही कह रहा है। परमपिता परमात्मा शिव को गीता
ज्ञान दाता मानने से गीता सभी शास्त्रों की जननी कही जाएगी और भारत सभी धर्मों के लोगों
के लिए तीर्थ बन जाएगा। तभी भारत पुनः विश्व गुरू की पदवी प्राप्त करेगा।