NUTAN
लोहरदगा: रविवार को लोहरदगा समाहरणालय परिसर स्थित भगवान बिरसा मुंडा के प्रतिमा में पुष्प माल्यार्पण कर उन्हें शत शत श्रद्धांजलि अर्पित की गई। भगवान बिरसा मुंडा के पुण्यतिथि पर लोहरदगा पंचायत राज पदाधिकारी अंजना दास ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा एक आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया है, जिससे वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और ‘धरती आबा’ के नाम से भी जाना जाता है। लोहरदगा परियोजना निदेशक लोहरदगा पदाधिकारी सुषमा नीलम सोरेंग ने कहा कि आदिवासी किसी महामारी को दैवीय प्रकोप मानते थे उनको वे महामारी से बचने के उपाय समझाते और लोग बड़े ध्यान से उन्हें सुनते और उनकी बात मानते थें। आदिवासी हैजा, चेचक, साँप के काटने बाघ के खाए जाने को ईश्वर की मर्जी मानते, लेकिन बिरसा उन्हें सिखाते कि चेचक-हैजा से कैसे लड़ा जाता है। वो आदिवासियों को धर्म एवं संस्कृति से जुड़े रहने के लिए कहते और साथ ही साथ मिशनरियों के कुचक्र से बचने की सलाह भी देते। धीरे धीरे लोग बिरसा मुंडा की कही बातों पर विश्वास करने लगे और मिशनरी की बातों को नकारने लगे। बिरसा मुंडा आदिवासियों के भगवान हो गए और उन्हें ‘धरती आबा’ कहा जाने लगा। लेकिन आदिवासी पुनरुत्थान के नायक बिरसा मुंडा, अंग्रेजों के साथ साथ अब मिशनरियों की आँखों में भी खटकने लगे थे।