बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण- आयोग ने गिनाए कारण, बताया किसका होगा आसानी से सत्यापन

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची को ठीक और अपडेट करने के लिए एक विशेष गहन पुनरीक्षण (सर) अभियान चला रहा है। आयोग ने इसके पीछे के कारण गिनाए हैं और बताया कि किसके लिए सत्यापन आसान होगा। आयोग ने इसी क्रम में वर्ष 2003 की मतदाता सूची अपनी आधिकारिक वेबसाइट (https://voters.eci.gov.in) पर अपलोड कर दिया हैं।चुनाव आयोग के अनुसार 2003 की मतदाता सूची में 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण है। इन्हें एसआईआर प्रक्रिया के तहत अब किसी अतिरिक्त दस्तावेज को प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे करीब 60 प्रतिशत निर्वाचकों को गणना फॉर्म भरने के दौरान दस्तावेज़ी प्रमाण देने से छूट मिलेगी। वहीं जिनके माता-पिता का नाम सूची में है और उनका नाम नहीं है उनका कुछ दस्तावेज दिखाकर ही सत्यापन हो जाएगा।

चुनाव आयोग का कहना है कि निर्वाचक नामावली का यह अद्यतन लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के अनुसार अनिवार्य है। आयोग का उद्देश्य एक दोषरहित, अपडेट और पारदर्शी मतदाता सूची तैयार करना है। चुनाव अधिकारियों के अनुसार, तेजी से हो रहे शहरीकरण, प्रवास, मृत्यु की सूचना न मिलने और अवैध प्रवासियों की प्रविष्टि से मतदाता सूची में गंभीर त्रुटियाँ सामने आई हैं। कई क्षेत्रों में प्रवासियों की संख्या जीत के अंतर से अधिक हो चुकी है। साथ ही, एक ही व्यक्ति द्वारा अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग पहचान से पहचान पत्र बनवाने के मामले भी बढ़े हैं। इसके अलावा 2004 के बाद से कोई व्यापक पुनरीक्षण नहीं हुआ है, जबकि पहले हर छह वर्ष में औसतन ऐसा किया जाता था। अब नई तकनीक के माध्यम से दस्तावेज आधारित सत्यापन किया जाएगा। इससे बीएलओ और ईआरओ की जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। चुनाव आयोग का मानना है कि यह प्रक्रिया न केवल चुनावी प्रणाली में विश्वास को मज़बूत करेगी, बल्कि भविष्य में शिकायतों की निष्पक्ष जांच को भी आसान बनाएगी। सभी राजनीतिक दलों ने भी मतदाता सूची की शुद्धता की मांग की है।