ब्राजील में भारतीय प्रवासियों ने वैदिक मंत्रों के साथ किया प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत

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Eksandeshlive Desk

नई दिल्ली : तीन देशों की यात्रा पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को ब्राजील पहुंचे और वहां भारतीय प्रवासियों ने पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। राजदूत सुरेश रेड्डी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधियों ने रियो डी जेनेरियो में उनका स्वागत किया। रियो डी जेनेरियो में पारंपरिक पोशाक पहने वैदिक विद्वानों के समूह ने प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में संस्कृत श्लोकों का उच्चारण किया। महिलाओं ने पारंपरिक परिधान पहनकर गरबा किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में उतरा हूं। मैं शिखर सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं और विभिन्न विश्व नेताओं के साथ उपयोगी बातचीत की प्रतीक्षा कर रहा हूं।” उन्होंने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में लिखा, “रियो डी जेनेरियो पहुंचने पर भारतीय समुदाय द्वारा दिए गए गर्मजोशी भरे और जीवंत स्वागत से मैं अभिभूत हूं। उनकी ऊर्जा उस स्नेह को दर्शाती है, जो हमें महाद्वीपों के पार बांधता है।” प्रधानमंत्री ने लिखा, “ब्राज़ील में भारतीय संस्कृति का जश्न। रियो डी जेनेरियो में यादगार स्वागत के लिए आभार।”

विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार ब्राज़ील में भारत की संस्कृति, धर्म, प्रदर्शन कला और दर्शन में काफी रुचि है। रामकृष्ण मिशन, इस्कॉन, सत्य साईं बाबा आंदोलन, महर्षि महेश योगी के अनुयायी और भक्ति वेदांत फाउंडेशन जैसे संगठनों की ब्राज़ील में सक्रिय शाखाएं हैं। भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता ब्राज़ील के साथ प्रतिध्वनित होने वाले भारतीय संस्कृति के शुरुआती तत्वों में से थे, जो देश की जीवंत लोककथा परंपराओं और उत्सव की भावना के साथ अच्छी तरह से मेल खाते थे।

प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण के तहत सोमवार को ब्राज़ील पहुंचे, जिसकी शुरुआत नाइजीरिया से हुई थी। वह जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए ब्राज़ील पहुंचे हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन शामिल हैं। मोदी अपनी यात्रा के अंतिम चरण में 19 से 21 नवंबर तक गुयाना का दौरा करेंगे। यह 50 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की गुयाना की पहली यात्रा होगी।