चुनावी नतीजों के अटकलों के बीच सोशल मीडिया बना चुनावी कुरुक्षेत्र

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AMIT RANJAN

सिमडेगा: लोकसभा चुनाव के नतीजे आने में अब महज चंद घंटे बचे हुए है। लेकिन एक्सिड पोल अभी से राजनीतिक पार्टियों के जीत हार का पैमाना तय करने लगी है। मतगणना का परिणाम 4 जून को आएगा। ऐसे में कह सकते हैं आज इंतजार की ये अंतिम रात होगी, और यही रात अंतिम यही रात भारी होगी सभी प्रत्याशियों के लिए। प्रत्याशी के साथ-साथ उनके समर्थक, कार्यकर्ता के साथ-साथ आम जनता भी प्रतीक्षा में हैं आखिर कौन जीतेगा और हार किसे मिलेगी।

खूंटी लोकसभा सीट को लेकर भी यह उधेड़बुन है कि आखिर जनता ने अपना आदेश किसे दिया है। दरअसल यह सीट हाई-प्रोफाइल वाला है।जहां का मुकाबला भी दिलचस्प रहने वाला है।यहां से जहां एक ओर भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा हैं तो उनके प्रमुख प्रतिद्वंदी कालीचरण मुंडा हैं।दोनों ही मुंडा जनजातीय समाज से संबंध रखते हैं।ऐसे में हर कोई एक ही बात कहा रहा है जीतेंगे तो मुंडा ही।सर्वविदित है कि खूंटी लोक सभा मुंडा जनजातीय बहुल वाला क्षेत्र माना जाता है।जहां से पूर्व में जयपाल सिंह, एनई होरो व कड़िया मुंडा लंबे समय तक सांसद निर्वाचितत होते रहे हैं।यही कारण है कांग्रेस ने भी सीट पर कड़ी प्रतिस्पर्धा देने के मुंडा समाज से ही कालीचरण पुन:मौका दिया है।चुनावी समर में भी भाजपा एवं कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए खूब पसीना बहाया है। वादे,दावे,प्रचार-प्रसार के साथ-साथ जातीय तथा धार्मिक समीकरण तक साधे गए।खैर धार्मिक समीकरण तो इस सीट पर अधिक ही हावी है।मतदाता भी ईसाई बनाम गैर ईसाई में बंटे रहे। इस चुनाव में जो एक चीज और अलग देखने को मिली उसमें यह दिखा कि इस बार खूंटी मे सबका अधिक फोकस था। खूंटी न केवल लोकसभा क्षेत्र आरओ जिला है। बल्कि यह भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली भी रहा है। बड़े नेताओं ने यहां आकर व चुनावी सभा पूरे लोकसभा क्षेत्र को साधने की कोशिश की। हालांकि यह देखना होगा कि उनका प्रयास धरातल तक कितना पहुंचा और उन्हें कितना लाभ मिला। इधर एक्जिट पोल का परिणाम सामने आने के बाद चर्चाओं का बाजार फिर गर्म हो गया।अधिकांश एजेंसी के द्वारा बढ़त दिखाए जाने के बाद जहां भाजपा गदगद है तो दूसरी ओर विपक्षी इसे नकार रहे हैं। उनका मानना है वास्तविक रूप में रिजल्ट कुछ अलग होगा।

एक्सिड पोल के जीत हार का ये पैमाना सिमडेगा में राजनीति हलचल बढ़ा दी है। चाय की दुकान से लेकर सोशल मीडिया तक हर तरफ राजनीति दूरी से ताल्लुक रखने वाले सभी एक्सिड पोल के इर्द गिर्द घूमते हुए चुनावी दंगल में आमने सामने डटे हुए हैं। इस चुनावी घमासान सभी अपने अपने पसंदीदा नेता के जीत का दावा पेश करते हुए बातों बातों में सरकार तक बना दे रहे हैं। चुनावी नतीजों के आकलन के इस घमासान में अटकलों का बाजार काफी तेज हो गया है। खास कर सोसल मीडिया इस घमसान का कुरुक्षेत्र बना हुआ है। राजनीतिक प्रेमियों का यह कुरुक्षेत्र किसी के लिए सर दर्द तो किसी के लिए मनोरंजन का खास साधन बन गया है। हालांकि चुनावी नतीजों के अटकलों का बाजार 04 जून को उसे वक्त खत्म हो जाएगा जब चुनावी नतीजे सामने आ जाएंगे। लेकिन तब तक चुनावी नतीजों के अटकलों का बाजार गर्म रहेगा और चुनावी नतीजे के कुरुक्षेत्र का यह घमासान चलता रहेगा।