भारत में 26 जून 2020 को 59 ऐप बैन किए गये थे. जिसमें एक नाम यूसी ब्राउजर का भी शामिल था. सभी ऐप स्टोर से बेदखल किए जाने के बाद भी यूजर इस ऐप को धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं.बता दें , जो यूजर UC Browser का इस्तेमाल कर रहे हैं उनको इस ऐप से परहेज करना चाहिए क्योंकि यह ऐप आपका निजी फोटो, दस्तावेज, बैंक विवरण जैसी कई और भी जानकारियों की चोरी कर इंटरनेट पर सार्वजनिक कर सकता है.
भारत और इंडोनेशिया का लोकप्रिय UC Browser ऐप क्यों हुआ बैन
खराब इंटरनेट स्पीड के बावजूद तेज रफ्तार से चलने वाला यह लोकप्रिय ऐप को आखिर भारत में बैन क्यों किया गया और जब ऐप स्टोर पर UC Browser है ही नहीं तो लोग कैसे धड़ल्ले से यूज कर रहे है.आइए समझते हैं
बात करें UC Browser की तो यह मोबाइल इंटरनेट कंपनी UcWeb के द्वारा विकसित किया गया एक वेब ब्राउजर है और यह Alibaba ग्रुप की सहायक कंपनी है. UC Browser बैन होने से पहले कि बात करें तो इस ब्राउजर का सबसे ज्यादा क्रेज भारत और इंडोनेशिया में रहा. साथ ही 2017 तक चीन में भी दूसरा सबसे लोकप्रिय ब्राउजर था.
UC Browser अप्रैल 2004 में java-only application के रूप में लॉन्च किया गया था, इसके अलावा Android ios , BlackBerry os, Microsoft Windows और Nokia के Symbian जैसे कई प्लेटफार्मों पर उपलब्ध था. UC Browser कई सुरक्षा और गोपनीय विवादों से घिरा रहा है. ऐसा माना जाता है की साल 2020-2022 में भारत-चीन के युद्ध के शुरू होने के तुरंत बाद 29 जून 2020 को भारत में UC Browser के साथ 58 और ऐप को बैन कर दिया गया पर यह पूरी तरह से सच नहीं है.
क्या गूगल प्ले स्टोर पर ब्लॉक ऐप अब भी मौजूद हैं?
बता दें, 26 जून 2020 को सुरक्षा एजेंसी ने सरकार को 52 एप्लिकेशन के खिलाफ फैसला लेने का सुझाव दिया था बाद में 59 ऐप्लिकेशन कर दिये गए. 21 जून 2020 को मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के जरिए जारी की गयी थी जिसके प्रेस रिलीज में बताया कि “कुल 59 एप्लिकेशन का नाम शामिल किया गया है साथ ही इंटरनेट और नॉन- इंटरनेट दोनों ही डिवाइसों पर ब्लॉक किया जा रहा है.” हालांकि ब्लॉक किए गए 59 एप्लिकेशन में से लगभग एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर अब भी उपलब्ध हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि इसके नाम और लोगो (LOGO) का डिजाइन बदल दिया गया है.
वहीं अगर बात की जाए UC Browser कि तो संभवतः यह ऐप किसी भी स्टोर पर आपको नहीं दिखेगा पर इसका विकल्प जरूर मिल सकता है. गूगल प्ले स्टोर पर UC Browser के दो विकल्प ऐप मौजूद हैं. पहला Super Browser-mini & fast और दूसरा Browser Go- fast web browser . हालांकि यह ऐप UC Browser ही है इसकी पुष्टि नहीं की गई है. सवाल यह है कि पहले जैसा दिखने वाला UC Browser को यूजर डाउनलोड और इंस्टॉल कहां से कर रहे हैं?
हमने आपको ऊपर ही बताया है कि गूगल प्ले स्टोर पर आपको वही ऐप देखने को मिल सकता है जिसे साल 2020 में भारत-चीन युद्ध के समय बैन या ब्लॉक किया गया था. हालांकि मीडिया रिपोर्ट दावा करती है कि “यह 29 जून को बैन किए गए थे जो कि 59 चीनी ऐप–क्लॉन था. ऐप को बैन करने का एकमात्र वजह बताया गया था कि इन सभी ऐप के ‘ऑपरेशनल एथिक्स‘ हैं और इसी के चलते इन ऐप पर नजर रखी जा रही थी। ‘ऑपरेशनल एथिक्स‘ का मतलब यह है कि जो ऐप यूजर के डेटा को चीन की खुफिया एजेंसियों तक पहुंचाते हैं
बता दें, गूगल प्ले स्टोर पर ब्लॉक किए गए 59 ऐप में से लगभग ऐप का कॉपी किया गया है या फिर उसके नाम और डिजाइन को बदलकर फिर से गूगल प्ले स्टोर पर लाया गया. नाम में बदलाव किया गया हो या उसके logo के डिजाइनों में पर सच यही है कि गंगाधर ही शक्तिमान है. शायद बहुत सारे एंड्रॉइड यूजर को पता होगा कि जिस ऐप को गूगल प्ले स्टोर से बहिष्कार कर दिया जाता है, चाहे बैन हो या ब्लॉक कर दिया गया हो, ऐसे में एंड्रॉइड यूजर APK का सहारा लेते है. कोई भी ऐप जिसे प्ले स्टोर से ब्लॉक कर दिया गया हो उन सभी ऐप का नाम लिखकर APK डाउनलॉड कर लेते है. इस प्रोसेस को फॉलो कर के आज यूजर ब्लॉक और बैन ऐप का इस्तेमाल आसानी से कर रहे हैं. इसका बहुत बढ़िया उदाहरण है UC Browser, PUB G, BGMI जैसी कई ऐप जिसे बैन किया गया था. यूजर आज भी APK का सहारा लेकर इन सभी ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं.
यूजर्स को APK से किसी भी ऐप को डाउन करने से बचना होगा
अक्सर यूजर किसी पसंदीदा ऐप को डाउनलोड करने से पहले गूगल प्ले स्टोर पर उस ऐप का नाम लिखकर सर्च करते हैं और जब वह ऐप नहीं मिलता है तो मोबाइल के सर्च ब्राउजर में सर्च करते हैं , वहां उस ऐप का APK file मिलता है और यूजर्स डाउनलोड कर लेते हैं. और यहीं गलती कर बैठते हैं.
बता दें , अगर आप भी विकल्प का इस्तेमाल कर APK से कोई भी ऐप को डाउनलोड कर रहे हैं तो आप अपने आप को जोखिम में डाल रहे है. जानकारों का मानना है कि गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया गया ऐप सर्टिफाइड होता है, इसमें किसी तरह का मालवेयर अटैक कि संभावना न के बराबर होती है. वहीं APK एक Android Package Kit एक file forma होता है जिसे किसी भी अनजान कंपनी, हैकर के द्वारा उस ऐप की सेम कॉपी तैयार कर इंटरनेट पर परोसा जाता है, इसे एक तरह का ट्रेप या जाल भी कहा जा सकता है जिसमें यूजर फंस जाते है और अपने मोबाइल में रखे निजी दस्तावेज,फोटो,वीडियो या फिर बैंक के डिटेल सब हैकर के कंट्रोल में हो जाता है. बात करें, देश में साइबर फ्रॉड की तो यह मामला लगातार बढ़ते जा रहा हैं.मामलों किस तरह से बढ़ती जा रही है. इसका अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछले एक साल में https://cybercrime.gov.in/ पर 40 हजार से अधिक एफआईआर दर्ज की गई और 20 लाख से अधिक शिकायतें दर्ज हुई है. लगातार बढ़ रहे मामलों से आपको भी सतर्क रहने की जरूरत है.