धर्म और जात के नाम पर वोट करना और कराना लोकतंत्र के लिए खतरा : अब्दुल्लाह अजहर

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Eksandeshlive Desk
रांची : आजाद भारत में सभी धर्म और वर्गों को आजादाना जिंदगी गुजरने का अवसर दिया गया है। समाज के डेवलपमेंट के लिए राजनीतिक प्रतिनिधियों के द्वारा जिन समस्याओं का निराकरण किया और कराया जाता है। हर समाज के राजनीतिक नेता पार्लियामेंट और विधानसभा में प्रतिनिधित्व करता है। उक्त बातें मुस्लिम मजलिस उलेमा झारखंड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल्ला अजहर कासमी ने कहीं। वह शनिवार को अपने प्रेस बयान में कहां के 2006 के सच्चर कमेटी रिपोर्ट ने बताया कि भारत में मुसलमान शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक एतबार से दलित समाज से भी पीछे हैं। मुसलमानो का समस्या आज भी जस के तस है। राजनीतिक दलों ने मुसलमान को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया और उनके समस्याओं से कोई दिलचस्पी नहीं रखा। चुनाव के मौके पर वादा सभी राजनीतिक पार्टियों करती है। चुनाव जीतने के बाद मुस्लिम समाज को छोड़ दिया जाता है। मुसलमानो ने राजनीतिक पार्टी अपना नहीं बनाया और राजनीतिक दलों के भरोसे पूरे मुस्लिम कौम को छोड़ दिया। यही कारण है कि मुस्लिम राजनीतिक प्रतिनिधि में भी मुसलमान को छोड़ दिया गया है। आज देश में 18वीं लोकसभा चुनाव का माहौल है।चार चरणों का चुनाव हो चुका है। देश में मुसलमान अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। चुके राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमान को राजनीति प्रतिनिधि के लिए टिकट ही नहीं दिया। देश में धर्म और जात के बुनियाद पर वोट करना और करना लोकतंत्र के लिए खतरा है। ऐसे में मुसलमान जाए तो कहां जाए। इलेक्शन कमीशन को इस पर गौर करना चाहिए और राजनीतिक दलों को सख्त वार्निंग देना चाहिए। लोकतंत्र की खूबसूरती के लिए अल्पसंख्यकों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व उतना ही जरूरी है, जितना दुल्हन के माथे पर बिंदिया।