दस लाख के दो इनामी नक्सलियों ने डाला पुलिस के समक्ष हथियार

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Eksandeshlive Desk
लातेहारः जिला पुलिस के सामने दो दस लाख के इनामी भाकपा माओवादी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। सरेंडर करने वाले में भाकपा माओवादी संगठन के जोनल कमांडर नीरज सिंह खरवार और सालमन गंझु शामिल है। पलामू डीआईजी वाईएस रमेश , लातेहार उपायुक्त गरिमा सिंह ,  एसपी अंजनी अंजन , सीआरपीएफ कमांडेंट वेद प्रकाश त्रिपाठी व सीआरपीएफ कमांडेंट केडी जोशी ने गुलदस्ता देकर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सम्मानित किया है।
लातेहार एसपी अंजनी अंजन के द्वारा पिछले 2 वर्षो से नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे सघन छापामारी अभियान का असर दिखा रहा है जिले में अब नक्सली संगठन काफी कमजोर हो गये है। नक्सलियों का सबसे सुरक्षित इलाका  बूढ़ापहाड़ का क्षेत्र नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराये जाने के बाद से ही नक्सली भयग्रस्त हो गये है।एसपी के द्वारा गांव-गांव में सरकार के आत्मसमर्पण नीति की नीतियों को प्रचार प्रसार भी काफी जोर-शोर से किया गया है। अपने आप को अत्यंत कमजोर होता देखकर एवं सरकार के आत्मसमर्पण नीति से आकर्षित होकर अब नक्सलियों ने हथियार डालने की योजना बना रहे है।
नक्सलियों के द्वारा जब आत्मसमर्पण नीति की पूरी जानकारी प्राप्त कर लिया गया तब जाकर शुक्रवार को दोनों नक्सलियों ने एक साथ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। इन नक्सलियों के सरेंडर करने से भाकपा माओवादी संगठन को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है बताया जाता है कि नक्सली सालमन गंझु पिछले 22 वर्षो से माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ था। इसके द्वारा एक दर्जन से अधिक हिंसक घटनाओं को भी अंजाम दिया गया था इसके खिलाफ लातेहार और लोहरदगा जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में आधा दर्जन से अधिक मामला दर्ज किया गया है। वहीं नक्सली नीरज सिंह खरवार पर 25 से अधिक नक्सली हिंसात्मक घटनाओं का मामला अलग अलग थाना क्षेत्रों में दर्ज है। नीरज सिंह खरवार पलामू के बाबुन गांव का रहने वाला है वह वर्ष 2004 में माओवादी संगठन से जुड़ा हुआ था और पिछले 8 वर्षो से बूढ़ापहाड़ क्षेत्र में काफी सक्रिय रहा था।
आत्मसमर्पण पूर्णवास नीति का लाभ लेकर सरेंडर करें नक्सली
इस मौके पर पलामू के डीआईजी वाईएस रमेश ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा चलाये जा रहे आत्मसमर्पण नीति का लाभ लेकर नक्सली अपने आपको मुख्यधारा में जोड़े। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की नई दिशा कार्यक्रम के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार के द्वारा सभी प्रकार का सुविधा उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि नक्सली हिंसात्मक रास्ते को छोड़कर मुख्यधारा में लौटे आये और समाज के विकास में अपना विशेष योगदान दें। वहीं उपायुक्त गरिमा सिंह ने कहा कि हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है इसलिये सभी नक्सली सरकार के आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाते हुये आत्मसमर्पण कर दें और मुख्यधारा में लौट आये।

आत्मसमर्पण ही नक्सलियों के लिये है आखिरी मार्ग

इस मौके पर लातेहार एसपी अंजनी अंजन ने कहा कि लातेहार का एक भी गांव या इलाका ऐसा नहीं है जहां नक्सली अपना ठिकाना बना सकें।  उन्होंने कहा कि नक्सलियों के समक्ष अब बस एक ही रास्ता बचा हुआ है कि वे झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति का लाभ लेकर हथियार डाल दे। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण नीति के तहत सरकार के द्वारा नक्सलियों को इनाम की राशि के साथ-साथ कई अन्य प्रकार की सुविधायें भी उपलब्ध कराये जाते हैं जिसमें उनके आचरण के आधार पर 3 साल के बाद से सालाना आर्थिक मदद , आवास की सुविधा , चार डिसमिल जमीन की सुविधा, बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट की सुविधा उपलब्ध कराया जाता है।