एकजुट रहें और संगठन की जिम्मेवारी निभाने के लिए तैयार रहें: अनिल कुमार भगत
Eksandesh desk
लोहरदगाः झारखण्ड आन्दोलनकारी महासभा लोहरदगा जिला समिति की बैठक बुधवार को समाहरणालय मैदान में कार्यकारी अध्यक्ष अमर किन्डो की अध्यक्षता में हुई। प्रधान महासचिव कयूम खान, केन्द्रीय समिति महिला संयोजिका सीता उरांव, केन्द्रीय सदस्य चैतू मुंडा मुख्य रूप से मौजूद थे। मौके पर संबोधित करते हुए प्रधान महासचिव कयूम खान ने श्री खान ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने आजादी के पूर्व, आजादी की लड़ाई के समय एवं आजादी के बाद भी शोषण के खिलाफ लम्बी संघर्ष किए। हमारे अमर पुरोधाओं ने अपनी कुर्बानी दीं। लंबे संघर्ष के बाद राज्य का गठन हुआ। जिसके बुनियाद में जल-जंगल-जमीन, भाषा, संस्कृति, परंपरा व महान जीवन प्रणाली की रक्षा अर्न्तनिहित थी। झारखण्डी पहचान एवं अस्तित्व के खिलाफ रची जा रही राजिश के खिलाफ आन्दोलनकारियों का त्याग एवं बलिदान आज बेकार साबित हो चला है। कार्यकारी जिलाध्यक्ष ने कहा कि आज आदिवासियों, मूलवासियों के अस्तित्व इसलिए खतरे में हैं, क्योंकि इनकी रक्षा के लिये बनी तमाम कानून व अधिनियम ठण्डे बस्ते में डाल दिये गये। इन्हीं की रक्षार्थ आज सभी आदिवासी, मूलवासी संगठन, सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों को जनमुद्दों पर एकजूट होकर राज्य के अस्तित्व को बचाने की आवश्यकता है। जिला प्रवक्ता अनिल कुमार भगत ने कहा कि एकजुट रहें और संगठन की जिम्मेवारी निभाने के लिए तैयार रहें। उन्होंने झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन स्वयं झारखंड आंदोलनकारी हैं। वे झारखंड आंदोलनकारियों को जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करते हुए मान-सम्मान, नियोजन, पेंशन और हक अधिकार देने के लिए के सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द आंदोलनकारियों के साथ वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान करें।संबोधित करने वालों में सीता उरांव, जिला सचिव विशेषण भगत, सुखदेव उरांव, कोषाध्यक्ष कृष्णा ठाकुर, चैतू मुंडा, सुशीला लकड़ा आदि शामिल थे। बैठक में अनुप उरांव, सुखदेव उरांव, दशरथ उराँव, मनोज उराँव, सोमनाथ उराँव, रामधनी भगत, प्रकाश नायक, दामोदर महतो, तारा खलखो, सूरज मोहन लकड़ा, आरिफ खान, जगदीश उराँव, गंगा उराँव, सीता उराँव, रूदन उराँव, पिरिस्का कुजूर, इसरार अहमद आदि समेत बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मौजूद थे। धन्यवाद ज्ञापन कृष्णा ठाकुर ने की। बैठक में किडनी पीड़ित केन्द्रीय वरीय उपाध्यक्ष अश्विनी कुजूर की इलाज के लिए सभी ने मदद करने की बात कही। बैठक के अंत में आंदोलनकारी सरोजनी कच्छप जी के पति सुशील कच्छप जी के आकस्मिक निधन पर दो मिनट का मौन रखकर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। अगला बैठक आगामी 12 जून को तय की गई है।