इस्लाम का अर्थ अपने मुल्क और माआशराह से मोहब्बत करना है: मौलाना अब्दुल्लाह सालिम कमर

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Mustfa

मेसरा: रांची जिले के बीआईटी मेसरा थाना क्षेत्र स्थित नेवरी बुट गोड़ा मैदान में बड़ी मस्जिद कमेटी नेवरी द्वारा समाज में सौहार्द कायम करने एवं धर्म के प्रति आपसी संबंध मजबूत किए जाने को लेकर बिते शुक्रवार की रात को सीरतुन्नबी व तालीमी बेदारी सह इस्लाहे माआशराह कॉन्फ्रेंस (जलसा) का आयोजन किया गया। इस आयोजन में इलाके के तमाम ओलमा एकराम समेत क्षेत्र से बड़ी संख्या में मुस्लिम अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। आध्यात्मिक प्रेरणा से ओत-प्रोत इस जलसे में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मौलाना अब्दुल्लाह सालिम कमर कासमी चतुर्वेदी ने कहा कि मुसलमान का दूसरा नाम वफादार होता है,और इस्लाम का दूसरा मतलब अपने मुल्क और माआशरा से मोहब्बत करने वाला होता है। और जो मुसलमान ऐसा नहीं वे मुसलमान नहीं हो सकते। क्योंकि मुसलमान पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहू अलैहे वसल्लम के फ्लोवर हैं। और उनके चरित्र को अपने जीवन में उतरना है। इस्लाम अमन व शांति की प्रचार करता है। अगर मुसलमान दहशतगर्द है तो वह मुसलमान नहीं हो सकता। क्योंकि इस्लाम की बुनियाद अमन व शांति का संदेश देता है। वहीं मुफ्ती शाददून नजीब ने पवित्र ग्रंथ कुरान में बताए गए बातों को अपने जीवन में उतारने की अपील की। उन्होंने समाजिक एकता,दहेज प्रथा,शराबबंदी,जुआ जैसी समाजिक कुरीतियों पर प्रकाश डाला। कहा हमें अपने मुल्क से मोहब्बत दिलों जान से करना चाहिए। किसी को भी ये हक नहीं है की वह दूसरे धर्म के धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाए,बल्कि सभी धर्म के धार्मिक स्थलों का हिफाजत करना चाहिए। किसी से भी नफरत और बैर नहीं रखना है। सामाजिक सौहार्द के किसी भी प्रयास में हमेशा आगे रहें। समाज में भाईचारा को बढ़ावा दें,और गंगा-जमुनी तहजीब की इस संस्कृति को हमेशा बरकरार रखें। जलसे में शायरे इस्लाम फारुक दिलकश ने हिन्दू-मुस्लिम एकता व समाज सुधार पर कई अच्छे-अच्छे नज्म पढ़े जिसे लोगों ने काफी सराहा। इससे पूर्व जलसे का आगाज कुरआन-ए-करीम की तिलावत के साथ की गई। कार्यक्रम में मकतब के बच्चे-बच्चियों ने कई नातिया कलाम व तकरीरे पेश की। जिन्हें अतिथियों द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन मौलाना सुफीयान हैदर ने किया,जबकि सदारत मौलाना अब्दुल अज़ीज़ नोमानी ने किया। इस जलसे को कामयाब बनाने में आयोजन कमेटी के सदर एजाज अंसारी, सेक्रेट्री आदम अंसारी, खजांची शमशाद अंसारी, इमाम व खतिब असददूल्लाह शाहब, खालिद अंसारी, मुखिया साधो उरांव, उप मुखिया मझर अंसारी, जावेद अख्तर अंसारी, जमील मास्टर आदि सभी ग्रामवासी एवं आयोजन कमेटी के तमाम सदस्यों की अहम भूमिका रही।