झारखंड : टॉफी और टी-शर्ट घोटाले का मामला एक बार फिर गर्म, रांची के इस छात्रावास में मिले सड़े टी-शर्ट

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कौन कहता है कि झारखंड गरीब राज्य है. इस बात को सरासर झुठलाता है पिछली सरकार का काम. दरअसल, प्रभात खबर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 में झारखंड की तत्कालीन रघुवर सरकार ने झारखंड स्थापना दिवस पर प्रभात फेरी के दौरान 5 लाख स्कूली बच्चों के बीच टी-शर्ट और टॉफी बांटने का व्यवस्था की थी. लेकिन वो काम पूरा नहीं हुआ था. जिसका नतीजा ये हुआ कि अब करीबन सात साल बाद भी  के एक कमरे में हजारों की संख्या में टी-शर्ट पड़े-पड़े सड़ गए हैं. भारी मात्रा में टॉफियां भी है जो रखे–रखे पिघल गई है.

टॉफी और टी-शर्ट का बच्चों के बीच होना था वितरण

जानकारी के अनुसार उस वक्त झारखंड सरकार ने 5 लाख टी-शर्ट खरीदा था. जिसे झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर बच्चों के बीच बांटना था. लेकिन ये टी-शर्ट बच्चों तक पहुंच ही नहीं पाए. यही कारण है कि टी-शर्ट रखे-रखे सड़ गए. बोरे में पड़े टी- शर्ट को चूहों ने कुतर दिया. सात साल से पड़े-पड़े सारे टी- शर्ट अब खराब हो चुके हैं.

आपको बता दें कि टी-शर्ट और टॉफी के खरीद पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप भी लगे हैं. जिसकी जांच एसीबी यानी की एंटी करप्शन ब्यूरो कर रही है. एक तरफ खरीद में गड़बडी और दूसरी तरफ टी-शर्ट और टॉफी नहीं बांटा जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है.

क्रमवार तरीके से समझाते हैं टॉफी और टी-शर्ट खरीदी में क्या-क्या गड़बड़ी है?

सबसे पहला. राज्य सरकार पहले ही टी-शर्ट और टॉफी की खरीदारी कर लेती है, कारण बताने के समय कागजी प्रक्रिया पूरा करने में काफी समय लग जाता ऐसा कहा जाता है, और खरीदी के बाद फिर कैबिनेट में प्रस्ताव पेश करके पास किया जाता है. आसान भाषा में कहें तो पहले काम हो गया, फिर उस काम को करने की मंजूरी मिली.

दूसरी कड़ी- जब टी-शर्ट और टॉफी की खरीदी की गए, तो उसमें कुछ गड़बड़ी की बात सामने आई. जिसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो को इसकी जांच की जिम्मेदारी दी गई. जांच में तब के उपायुक्त मनोज कुमार, झारखंड शिक्षा परियोजना के रतन श्रीवास्तव और सौरव कुमार का नाम सामने आया. जिसके बाद तीनों के खिलाफ एसीबी ने सरकार से जांच की अनुमति मांगी. इसी जांच में यह बात भी सामने आई है कि काफी संख्या में टी-शर्ट लुधियाना से रांची पहुंचा भी नहीं था, और उससे पहले ये दिखाया गया की टी-शर्ट का वितरण हो गया है. आसान भाषा में कहें तो टी-शर्ट के झारखंड पहुंचने से पहले बांट दिया गया. लेकिन अब सच्चाई सबके सामने है. क्योंकि उस वक्त टी-शर्ट बंटे ही नहीं थे.

अब आपको बताते हैं कि ये टॉफी और टी-शर्ट की खरीदारी कहां से की गई थी.

झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर कार्यक्रम होने वाला था. जिसके लिए पहले बैठक हुई, जिसमें तीन दिनों तक (13 नवंबर से 15 नंवबर) सांस्कृतिक कार्यक्रम होने की बात तय हुई थी. जिसको लेकर रांची के तत्कालीन उपायुक्त मनोज कुमार ने जमशेदपुर के लल्ला इंटरप्राइजेज से पांच लाख टॉफी खरीदने की अनुमति मांगी. वहीं, लुधियाना के कुडू फैब्रिक्स से टी-शर्ट खरीदने की बात को फाइनल किया गया. इसके बाद दोनों कंपनी को आपूर्ति का आदेश दिया गया. इस पर लुधियाना के कुडू फैब्रिक्स ने टी-शर्ट के सप्लाई के लिए 2 करोड़ रुपए अडवांस की मांग की. टी-शर्ट प्राप्त करने का प्रमाण पत्र जेइपीसी के रतन श्रीवास्तव ने दिया था. कुछ लोग टी-शर्ट से भरे बोरे को उठा कर ले गए. कुछ ने तो गांव ले जाकर बांटा भी.