Eksandesh Desk
हजारीबाग: झारखंड की मिठास भरी लीची अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई पहचान बनाने को तैयार है। आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर (बिहार) के बीच मंगलवार को एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य लीची सहित विभिन्न फलों के उत्पादन, गुणवत्ता, तकनीकी सहयोग और विपणन को नई दिशा देना है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र परिसर में आयोजित इस समझौते कार्यक्रम के दौरान आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, सम कुलपति डॉ गौरव शुक्ला, कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विकास दास सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अधिकारी उपस्थित थे। आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके नायक ने इस समझौते को विश्वविद्यालय के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह कदम न केवल शोध और तकनीकी सहयोग को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के किसानों को आधुनिक खेती के तौर-तरीकों से जोड़ने में सहायक होगा।
कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कहा कि एमओयू के तहत किसानों को उन्नत किस्म के पौधे, खेती की आधुनिक तकनीक, पैकेजिंग और ब्रांडिंग में सहयोग दिया जाएगा, जिससे वे स्थानीय के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे। सम कुलपति डॉ गौरव शुक्ला ने इस साझेदारी को विश्वविद्यालय के विज़न और मिशन के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण और नवाचार को बढ़ावा देकर यह पहल किसानों की आय दोगुनी करने में मदद करेगी। साथ ही विद्यार्थियों को नई तकनीक समझने, नवाचार एवं स्वयं के व्यवसाय करने की दिशा में भी मदद मिलेगी। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विकास दास ने कहा कि हम किसानों को वैज्ञानिक जानकारी, प्रशिक्षण और नई तकनीकों से लैस करेंगे, जिससे वे लीची उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार कर सकें। कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि यह पहल झारखंड की लीची को देशभर में पहचान दिलाने का काम करेगी। बताते चलें की समझौते के तहत न केवल लीची बल्कि अन्य फलों, सब्जियों और कृषि उत्पादों पर भी शोध, प्रशिक्षण, पैकेजिंग और विपणन की आधुनिक तकनीकों पर काम किया जाएगा। साथ ही किसानों को फसल कटाई के बाद की प्रक्रियाओं और मूल्यवर्धन के महत्व के बारे में भी जागरूक किया जाएगा।