Ashutosh Jha
काठमांडू: नेकपा (एमाले) के अध्यक्ष व पूर्व प्रधान मंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल के अगले पीएम होंगे। वर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रचंड की सत्ता में बने रहने का आखिरी दाँव भी विफल हो गया है। अब उन्हें 12 जुलाई को विश्वास मत हासिल करना है जो सर्वथा असंभव है। प्रचंड ने संसद में सबसे बड़े दल नेपाली कांग्रेस में विभाजन कराने की भरपूर कोशिश की और इस दल के वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला से कई दौर की बातचीत की और उन्हें भाँति-भाँति के प्रलोभन दिए। शेखर कोइराला ने प्रचंड को अपने गुट के सांसदों व नेताओं से विमर्श कर कुछ भी तय करने की बात कहकर प्रचंड से पीछा छुड़ाया। नेपाली कांग्रेस के कोइराला समूह ने अंततः यह तय किया है कि वे पार्टी सभापति व पूर्व प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा के साथ ही खड़े रहेंगे और केपीशर्मा ओली को ही प्रधानमंत्री बनाने के पार्टी निर्णय से नहीं डिगेंगे। शेखर कोइराला के एक निकटवर्ती नेता ने बुधवार को बताया है कि ओली को पीएम बनाने के समझौते का पूरी पार्टी सम्मान करती है। अभी की परिस्थिति में प्रचंड के साथ मात्र 63 सांसद हैं जबकि केपी ओली के पक्ष में दो तिहाई बहुमत है। नेपाल के एक प्रमुख राजनीतिक विश्लेषक योगेन्द्र प्रसाद यादव का कहना है कि प्रचंड की कोई भी दाल गलनेवाली नहीं है और इन्हें कुर्सी छोड़नी ही होगी। नेपाल के राजनीतिक वृत में यह भी चर्चा है कि प्रचंड गुरुवार को पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं। बताया गया है कि बुधवार को माओवादी केन्द्र संसदीय दल की बैठक में प्रचंड की पार्टी के नेताओं ने उन्हें पदत्याग की सलाह दी है ताकि थू-थू से बचा जा सके।