Eksandeshlive Desk
रांची : पूर्व सांसद, पूर्व जैक उपाध्यक्ष और झारखंड मजदूर मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. सूरज मंडल ने कहा है कि झारखंड आंदोलन से गहराई से जुड़े किसी वरिष्ठ आंदोलनकारी को ही झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिये तभी न केवल झारखंड आंदोलनकारियों की अपेक्षायें पूरी होंगी बल्कि उन सपनों को भी पूरा करना संभव होगा जिसके लिये लंबे संघर्ष, आंदोलन और प्रतीक्षा के बाद झारखंड अलग राज्य बना था।
झारखंड आंदोलनकारी क्रांति मोर्चा की बैठक की अध्यक्षता करते हुए डॉ. मंडल ने कहा कि दुर्गा उरांव जैसे पूर्व पुलिस पदाधिकारी के झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग का अध्यक्ष बनने के कारण ही आज भ्रष्टाचारी, गैर आंदोलनकारी और जड़ से कटे लोगों का अड्डा बना है। दुर्गा उरांव को अध्यक्ष पद से अविलम्ब हटाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने और उन्हीं के कारण कुछ लोगों ने अपने स्तर पर लेन-देन कर और आयोग के कुछेक अधिकारियों-कर्मचारियों को पैसा देकर किसी को आंदोलनकारी घोषित करने को धंधा बना लिया है जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गयी है।
डॉ. मंडल ने कहा कि राज्य सरकार को अविलंब पांच वरिष्ठ आंदोलनकारियों को झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान के लिये अधिकृत किया जाना चाहिये ताकि कुछेक लोगों के झूठ-फरेब और पैसे लेकर किसी को झारखंड आंदोलनकारी के रूप में घोषित करने के धंधे पर रोक लगे। डॉ. मंडल ने कहा कि अबतक जितने लोगों को झारखंड आंदोलनकारी घोषित किया गया है उन सभी की जांच के लिये उच्चस्तरीय समिति का गठन कर अपेक्षित अहर्ता पूरा नहीं करनेवालों को आंदोलनकारियों की सूची से हटाया जाना चाहिये। डॉ. मंडल ने कहा कि अदूरदर्शी और जड़ से कटे नेताओं के कारण ही आज झारखंड के मूलवासियों एवं अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की दुर्गति का कारण है, लेकिन अब झारखंड की ज़मीनी स्थिति यहां के लोगों की ख़ुशी एवं प्रदेश के विकास के लिये पूरी तरह प्रतिकूल है और यह वातावरण सभी को निराश करनेवाला है।
डॉ. मंडल ने कहा कि केवल कुछ नेताओं के स्वार्थ, अदूरदर्शिता, परिवारवाद के कारण ही आज झारखंड में पुनः एक वैसी सरकार बन गयी है जिसने पिछले 5 साल में झारखंडियों की न सिर्फ व्यापक स्तर पर घोर उपेक्षा की है बल्कि इस सरकार ने सभी के बीच दीवार भी खड़ी कर झारखंड को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने के साथ ही इसके विकास में रोड़ा अटकाया है। डॉ. मंडल ने दोहराया कि झारखंड आंदोलनकारी क्रांति मोर्चा का आंदोलन केवल झारखंड आंदोलनकारियों को सम्मानजनक पेंशन एवं अन्य सुविधायें देने के साथ ही उनके परिवार के सदस्यों के हितों का ध्यान देने के लिये नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य झारखंडियों की अस्मिता की रक्षा और प्रदेश के सभी लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में जुटे रहने के लिये निरंतर संघर्ष करना ही है। उन्होंने कहा कि अगले जनवरी महीने में झारखंड आंदोलनकारियों का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा जिसमें नये सिरे से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष आदि के चुनाव के साथ ही मोर्चा को संगठनात्मक स्तर पर बेहद मजबूत किया जायेगा।
झारखंड आंदोलनकारियों को न्यूनतम 15 हज़ार रुपये पेंशन देने की मांग करते हुए डॉ. मंडल ने कहा कि यदि सरकार, आंदोलनकारियों को न्यूनतम 15 हज़ार रूपये प्रतिमाह भी नहीं दे सकती है तो आंदोलनकारी इस राशि को लौटाना और अस्वीकार करना ही पसंद करेंगे। डॉ. मंडल ने कहा कि जिन तत्वों, नेताओं और राजनीतिक दलों ने हमेशा झारखंड अलग राज्य का विरोध किया, उन्हें ही सरकार अपनी गोद में बैठाकर सत्ता की मलाई खिला रही है और वैसे लोगों को तुरंत सरकार से बाहर किया जाये। उन्होंने कहा कि यदि झारखंड आंदोलनकारी क्रांति मोर्चा की मांगें नहीं मानी गयीं तो अगले जनवरी महीने से तीव्र आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जा रही है जो अलग राज्य के आंदोलन की तरह ही व्यापक होगा और इसमें आर्थिक नाकाबंदी भी की जायेगी।