कुपोषण से बचाव एवं प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि के लिए आहार में मशरूम शामिल करें: डॉ एससी दुबे

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रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एससी दुबे ने कहा है पौष्टिकता एवं औषधीय गुणों से भरपूर मशरूम झारखण्ड के किसानों के लिए रोजगार सृजन एवं आय का एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त स्रोत हो सकता है क्योंकि जलवायु विविधता के कारण यहाँ लगभग सालो भर इसका उत्पादन किया जा सकता है। दैनिक आहार में इसे शामिल कर कुपोषण से बचा जा सकता है तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि की जा सकती है। डॉ दुबे सोमवार को कृषि महाविद्यालय सभाकक्ष में मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित कर रहे थे क उन्होंने कहा की मशरूम में 90 प्रतिशत अंश पानी तथा 10 प्रतिशत अंश सूखा पदार्थ रहता है क कैंसररोधी, लिवर एवं तंत्रिका-सुरक्षात्मक, एंटीवायरल, जीवाणुरोधी, मधुमेहरोधी आदि गुणों से भरपूर मशरूम विटामिन बी तथा विटामिन डी का महत्वपूर्ण स्रोत है जिसे खाने से कोलेस्ट्रोल नियंत्रण में रहता है तथा हार्ट हेल्दी रहता है। बटन मशरूम पर आयोजित प्रशिक्षण में दो बैच में कुल 38 किसान और उद्यमी शामिल थे, जिनमें झारखण्ड के विभिन्न जिलों के 36 तथा बिहार के 2 लोग थे। उन्हें कम्पोस्ट बनाने की विधि, बिजाई, केसिंग तथा बटन मशरूम उत्पादन की सम्पूर्ण तकनीकी जानकारी दी गयी तथा उन्होंने खुद सारी प्रक्रिया करके व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त किया। कृषि संकाय के डीन डॉ डीके शाही ने किसानों, गृहणियों और छोटे उद्यमियों से व्यावसायिक मशरूम उत्पादन के लिए आगे आने का आह्वान किया।

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