Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को भी विपक्ष के हंगामें की भेंट चढ़ गई। दोनों सदनों में अडाणी रिश्वत और संभल मामले पर हुए हंगामे के चलते पहले कार्यवाही 12 बजे और बाद में दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।लोकसभा में गुरुवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और नांदेड़ सांसद रवीन्द्र चव्हाण ने सदस्यता की शपथ ली। इसके बाद कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। दोपहर में दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी विपक्ष का हंगामा जारी रहा। नतीजतन, कार्यवाही को दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया।
लोकसभा में ध्वनिमत से वक्फ पर जेपीसी का कार्यकाल बढ़ा
लोकसभा में गुरुवार को ध्वनिमत से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बनी संसद की संयुक्त संसदीय समिति का कार्यकाल बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ाये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव को समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल की ओर से रखा गया। इस दौरान संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने लोकसभा की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए विपक्ष की निंदा की। उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सभी सदस्य विधेयकों पर चर्चा करने और कामकाज को ठीक से चलने देने के लिए राजी हुए थे। हालांकि यहां हंगामा हो रहा है। उन्होंने वक्फ संबंधित समिति का कार्यकाल बढ़ाये जाने के दौरान भी विपक्ष के हंगामा करने की निंदा की। उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से समिति का कार्यकाल बढ़ाये जाने पर सहमति बनी थी लेकिन प्रस्ताव पर मतदान के दौरान विपक्ष हंगामा कर रहा है।
बिरला ने विपक्ष को संविधान की वर्षगांठ का ध्यान दिलाया
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष को संविधान की 75वीं वर्षगांठ का ध्यान दिलाते हुए कहा कि संविधान सभा में भी असहमति थी और बहस हुई हैं लेकिन इस तरह का हंगामा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के 75 वर्षों के दौरान संविधान सभा में भी बहसें हुईं, असहमति और सहमति भी बनीं लेकिन सभी ने मर्यादित आचरण बनाए रखा। वे विपक्ष को हर मुद्दे पर पर्याप्त समय और अवसर देंगे।
राज्यसभा में भी अडाणी के मुद्दे पर कार्यवाही बाधित रही
इस बीच राज्यसभा में भी कार्यवाही बाधित रही। सुबह कार्यवाही की शुरुआत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम में चुनाव के लिए प्रस्ताव पेश किया जिसे राज्यसभा ने स्वीकृत कर दिया। राज्यसभा की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। उसके बाद कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। नतीजतन, सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय भावना सदन से गूंजनी चाहिए। संसदीय व्यवधान कोई उपाय नहीं है बल्कि यह एक रोग है। यह हमारी नींव को कमजोर करता है और संसद को अप्रासंगिक बना देता है। हमें इसकी प्रासंगिकता सुनिश्चित करते रहना चाहिए।
नियमों से विचलन करना इस मंदिर का अपमान : सभापति
सभा की शुरुआत में अवरोध के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने सदस्यों से अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने की अपील की। उन्होंने सदस्यों से संसदीय प्रक्रिया के नियमों का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह सदन केवल बहस का मंच नहीं है – यहां से हमारी राष्ट्रीय भावना को गूंजना चाहिए। संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं है, यह एक रोग है। यह हमारी नींव को कमजोर करता है। यह संसद को अप्रासंगिकता की ओर ले जाता है। हमें अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी होगी। जब हम इस तरह के आचरण में संलग्न होते हैं, तो हम संवैधानिक व्यवस्था से भटक जाते हैं। हम अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं। यदि संसद लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य से भटकती है, तो हमें राष्ट्रवाद को पोषित करना और लोकतंत्र को आगे बढ़ाना चाहिए।
आसन के निर्णय को चुनौती नहीं दी जानी चाहिए : धनखड़
सदन में सदस्य जयराम रमेश के एक प्रश्न के उत्तर में सभापति ने कहा, “यह एक अच्छा प्रश्न है, जो मेरे प्रिय मित्र जयराम रमेश द्वारा उठाया गया है। उन्होंने पूछा है कि आसन (चेयर) को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, इसलिए मैं इसका उत्तर देना चाहता हूं। ऐतिहासिक रूप से हम आसन को केवल तभी प्रभावित कर सकते हैं, जब हम नियमों के उच्चतम मानकों का पालन करें। जैसा कि मैंने कल कहा था, आसन के निर्णय का सम्मान होना चाहिए, उसे चुनौती नहीं दी जानी चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “नियम इतने व्यापक हैं कि वे हर सांसद को योगदान देने का अवसर प्रदान करते हैं। मुझे पिछले सत्र की ओर ध्यान दिलाने दें, जब हमने समय का आवंटन किया था लेकिन वक्ताओं की कमी के कारण हम उस समय का उपयोग नहीं कर सके। इसलिए नियमों के अनुसार अपनी चिंताओं को व्यक्त करने में कोई बाधा नहीं है। नियमों से किसी भी प्रकार का विचलन इस मंदिर का अपमान करने के समान है।”