मां शीतला मंदिर प्रांगण में तीन दिवसीय यज्ञ संपन्न

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Eksandesh Desk

भुरकुंडा /रामगढ़: भुरकुंडा के सयाल मोड़ स्थित मां शीतला मंदिर प्रांगण में स्थापित मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर के 25वां स्थापना दिवस के अवसर पर चल रहे तीन दिवसीय यज्ञ अनुष्ठान का रविवार को हवण-पुर्णाहुति व भव्य भंडारा के साथ समापन हो गया। यज्ञ के तीसरे दिन पुरोहित अनिश पांडेय, शंकर पांडेय, रविन्द्र पांडेय, अमित पांडेय, पवन पांडेय, प्रशांत पांडेय, विक्रम पांडेय द्वारा पूरे विधि-विधान एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच रुद्रभिषेक, माता रानी व महादेव का श्रृंगार, हवन-पूजन, आरती सहित कई धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराये गये। पूजा में बतौर यजमान ननकू महतो व रुबी देवी, राजन नायक व मधु देवी, विजय वर्मा व पूनम देवी, रोशन नायक व सरस्वती देवी, संतोष चैरसिया व रतनी देवी, उपेन्द्र प्रसाद व रीना देवी सपत्नी शामिल हुए। पूजा के दौरान आराध्य देवी-देवताओं के भक्ति जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंजता रहा। इधर अंतिम दिन भी यज्ञ मंडप का परिक्रमा के लिए श्रद्धालु महिला-पुरूषों की भारी भीड़ उमड़ी रही। पूजा के बाद नव कन्याओं को भोजन कराया गया। वहीं शाम चार बजे से भव्य भंडारा का आयोजन किया गया जो देर शाम तक चलता रहा। भंडारा का शुभारंभ पूर्व जिप उपाध्यक्ष एवं यज्ञ समिति के संरक्षक मनोज राम ने श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण कर किया। भंडारा में सैंकड़ों महिला-पुरूष श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

मौके पर मनोज राम ने कहा कि ऐसे आयोजनो से क्षेत्र में भक्ति का संचार बढ़ता है, साथ ही क्षेत्रवासियों को भक्ति के सागर में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि भक्ति आयोजनो से क्षेत्र में हरियाली-खुशहाली और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इसके पूर्व शनिवार को संध्या में प्रवचन का आयोजन का किया गया। जिसमें आचार्य शिव शंकर पांडेय ने अपनी अमृतवाणी की वर्षा में श्रद्धालुओं को भिगोये रखा। उन्होंने प्रवचन के माध्यम से धर्म, आस्था और जीवन मूल्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। यज्ञ को संपन्न कराने में पूर्व जिप सह यज्ञ समिति के संरक्षक मनोज राम, संरक्षक उत्तम सिन्हा, अध्यक्ष रोशन नायक, सचिव विनोद सिंह, कोषाध्यक्ष राजन नायक, ननकु महतो, विजय वर्मा, मुरली प्रजापति, संतोष चैरसिया, उपेन्द्र, जितेन्द्र विश्वकर्मा, सुरेश पासवान, गुड्डु सिन्हा, कुलदीप प्रजापति, पुरेन्द्र कुमार, प्रकाश ठाकुर, राकेश चैधरी, देवा प्रजापति सहित दर्जनों श्रऋालुओं का विशेष योगदान रहा।