नए आपराधिक कानूनों में पीड़ित पक्ष का काफी ख्याल रखा गया : प्रो. अशोक आर. पाटिल

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sunil Verma

अपराध संबंधी तीन नए केंद्रीय कानूनों पर कार्यक्रम आयोजित

रांची: भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत पत्र सूचना कार्यालय रांची द्वारा गुरूवार को रांची प्रेस क्लब में वातार्लाप कार्यक्रम आयोजित किया गया। नेशनल यूनिवर्सिटी आॅफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ रांची के वाइस चांसलर, प्रोफेसर अशोक आर. पाटिल ने बतौर मुख्य अतिथि के रुप में संबोधन करते हुए बताया कि पुराने कानून के जगह पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम जो आगामी एक जुलाई ,2024 से लागू होने जा रहे हैं ,उसमें पीड़ित पक्ष का काफी ख्याल रखा गया है । उन्होंने कहा कि इन तीन नए कानूनों को बनाने में पूरे देश भर के प्रमुख लॉ कॉलेज के प्रोफेसरों, रिसर्चर, देशभर से विभिन्न पार्टियों के142 सांसद, 272 विधायक और सामान्य जन से चर्चा की गई, तब जाकर इस कानून को लागू किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि नए कानून में फॉरेंसिक साइंस और फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन का बहुत बड़ा महत्व है और इसके लिए राज्य सरकारों को फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन की अच्छी व्यवस्था करनी होगी। पत्र सूचना कार्यालय के अपर महानिदेशक अखिल कुमार मिश्रा ने अपने की- नोट एड्रेस में कहा कि नए कानून में पुराने कानून के जो आवश्यक प्रावधान थे ,उसे रखा गया है और जो गैर जरूरी थे उन्हें हटा दिया गया, तथा आधुनिक समय की मांग को देखते हुए इसमें टेक्नोलॉजी के महत्व का समावेश भी है। नेशनल यूनिवर्सिटी आॅफ स्टडीस एंड रिसर्च इन ला रांची के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर शुभम श्रीवास्तव ने बतौर एक्सपर्ट के तौर पर लोगों को पुराने इंडियन पेनल कोड ,एविडेंस एक्ट और कोड आॅफ क्रिमिनल प्रोसीजर के बदले गए प्रावधानों की चर्चा करते हुए इस बात पर बल दिया कि नए प्रावधान में महिलाओं व बच्चों का विशेष ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए शारीरिक रूप से पुलिस स्टेशन जाने की पारंपरिक आवश्यकता को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्राथमिकी दर्ज करने के प्रावधान में बदल दिया गया है, जिससे लोगों को बहुत राहत मिलेगी। इसके अलावा केवल अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है । अब पीड़ित देश के किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कर सकेंगे। रांची के सिटी डीएसपी कुमार वेंकटेश रमन ने भारतीय न्याय संहिता की तुलना एक जुलाई, 2024 से बंद होने वाले इंडियन पेनल कोड के विभिन्न प्रावधानों का विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसमें कुछ नए जुर्म को शामिल किया गया है और कई पुराने जुर्मों को हटा दिया गया है- मसलन अब आत्महत्या का प्रयास अपराध की श्रेणी में नहीं रह जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि मामूली अपराधों के लिए सजा के तौर पर सोशल सर्विस या सामुदायिक सेवा के पहलू पर बल दिया गया है।