नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक नियुक्ति पूर्णतः रद्द करे जेपीएससी: NSUI

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Eksandeshlive Desk

रांची: NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अहमद ने नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति पूर्णतः रद्द कर इसे JPSC द्वारा निर्मित नियमावली से नए सिरे से कराने का आग्रह राज्यपाल संतोष गंगवार से की है। इस बाबत उन्होंने गुरुवार को राज्यपाल को याचना पत्र सौंपा और उचित कार्रवाई की मांग की। श्री अहमद ने राज्यपाल को उक्त विषय पर अब तक की सभी गतिविधियों से अवगत कराते हुए कहा है कि राज्यभर के विश्वविद्यालयों में अनुबंध पर आवश्यकता आधारित सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति की जानी थी किंतु JPSC द्वारा निर्मित नियमावली का अनुसरण नहीं कर राज्यभर के विश्वविद्यालय UGC द्वारा निर्मित नियमावली का अनुसरण कर रहे थे, जिससे राज्यभर के आदिवासी मूलवासी अभ्यर्थी इस नियुक्ति से वंचित हो गए थे जबकि राज्य से बाहर के 97 फीसदी अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल थे और उनका शैक्षणिक दस्तावेज सत्यापन किया जा रहा था।
UGC स्वयं यह मानती है कि सहायक प्राध्यापक नियुक्ति में राज्य सरकार या राज्य के विश्वविद्यालय UGC द्वारा निर्मित नियमावली मानने को बाध्य नहीं हैं बल्कि वह उनके राज्य में स्थित लोक सेवा आयोग द्वारा निर्मित नियमावली को मानकर उक्त नियुक्ति को पूरा कर सकते हैं और स्थानीय योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति में अधिकाधिक अवसर प्रदान कर सकते हैं। बावजूद राज्य के विश्वविद्यालयों में मनमाने तरीके से नियुक्ति की जा रही थी। सबसे अधिक गड़बड़ी रांची विश्वविद्यालय में थी, जिसकी सूचना माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, विभागीय मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, विभागीय सचिव एवं निदेशक को दी गई। इसके बाद निदेशालय ने तथ्यों को समझते हुए और अबुआ सरकार की कार्ययोजना को ध्यान में रखते हुए उक्त नियुक्ति प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। श्री अहमद ने महामहिम राज्यपाल से आग्रह करते हुए कहा कि उक्त मामले पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजित कुमार सिन्हा राजनीति और षड्यंत्र कर रहे हैं और महामहिम राज्यपाल को भी गुमराह करने की कोशिश में लगे हैं जबकि सच यह है कि उक्त नियुक्ति में वह स्वयं अपने रिश्तेदार को EWS श्रेणी में नियुक्त करने वाले थे जबकि वो बिहार से है। रांची विश्वविद्यालय में आवेदित अभ्यर्थियों के दस्तावेज की यदि जांच हुई तो और भी कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे। उन्होंने राज्यपाल से उक्त सभी मामलों पर निष्पक्ष जांच कराने एवं उक्त नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्णतः रद्द कर फ्रेस नियुक्ति कराने का आग्रह किया है।