आशुतोष झा
काठमांडू: नेपाल की कम्युनिस्ट गठबंधन की सरकार धर्म,संस्कृति और सभ्यता पर लगातार प्रहार करती जा रही है। नेपाल में जन्में गौतम बुद्ध के अनुयायियों पर विगत 3 अप्रैल को काठमांडू में चलाए गए दमनचक्र के खिलाफ लामा,गुरुंग, तामांग,लिम्बु,राई एवम नेवार समुदाय के लाखों लोगों के विरोध के बावजूद नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार का अब तक मानमर्दन नहीं हुआ है। नेपाल की धर्म संस्कृति सभ्यता एवम पहचान की गरिमा को बनाए रखने के लिए इन समुदाय के लोगों ने सरकार से क्षमा याचना करने और क्षति पूर्ति देने की मांग की थी जिसे कम्युनिस्ट गठबंधन की सरकार ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। ऐतिहासिक काल से ही औपनिवेशिक राज्य द्वारा स्वदेशी राष्ट्रों पर सांस्कृतिक अतिक्रमण के विरुद्ध क्षमा याचना पर जोर देने के लिए सोमवार को काठमांडू के माईती घर में राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति ने प्रतिरोध जताया। प्रतिरोध कार्यक्रम में विभिन्न समुदाय की सांस्कृतिक प्रस्तुति दिखाई गई। नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री तथा राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति के संयोजक राजेंद्र महतो ने प्रतिरोध कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर बर्बर प्रहार से नेपाल के कम्युनिस्ट गठबंधन की सरकार की कलई खुल गई है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल की छवि धूमिल हुई है। महतो के अनुसार राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति ने सांस्कृतिक प्रतिरोध किया है। प्रतिरोध सभा को नेवा परिषद् के संयोजक सुमन सायमी, आर के तामांग, कौशल किशोर सिंह आदि ने संबोधित किया।
राष्ट्रीय मुक्ति क्रांति के संयोजक तथा नेपाल के पूर्व उपप्रधानमंत्री राजेंद्र महतो ने धर्म,संस्कृति तथा वेश भूषा पर आक्रमण कदापि सहने लायक ना होने तथा सभ्यता और संस्कृति से आबद्ध जनता द्वारा शांति पूर्ण आंदोलन करने की स्थिति में धर्म गुरुओं पर लाठी बरसाने को गंभीर अपराध बताते हुए सरकार से माफी मांगने की मांग की।