दिलीप कुमार
गोड्डा: सदियों में कभी कोई एक सितारा उतरता है इस जमी पर, फलक के सितारो की भी हो जाती फीकी उस जमी पर उतरे सितारे की चमक से , ऐसा ही एक सितारा महानायक बनकर उतरते है भारत के पश्चिम बंगाल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम से। जन नायक से महानायक बनने के इस सफर में कितने संघर्ष कितने त्याग किए इस भारत माता की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए पराक्रम दिखाए जिसे आज पराक्रम दिवस के रूप में आजादी के बाद उस सितारे की याद में मना रहे हैं 23 जनवरी को। आज हम खुली हवा मे श्वास ले रहे हैं अनाप शनाप बकने की स्वतंत्रता मिली मनमानी करने की छूट मिली हमारी आंखें नही खुलती ज्ञान और शिक्षा नही मिलती। उनकी क्या बात करें जिसने गुलामी की पीड़ा नही झेली यातनाएं नही सही। लेकिन ये यही वो नेता हैं जिन्होंने आईसीएस की ब्रिटिश सरकार की नौकरी को ठोकर मार दी,हजारों मील की यात्राएं की, अपने जान की परवाह न करतें हुए कूद पड़े अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने और उनका नाम सुभाष है जिन्हें नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम से आज जानते पहचानते और हमारे प्रेरणा के श्रोत हैं।
गोड्डा के रौतरा चौंक स्थित नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर आज देश भक्तों द्वारा उन्हे श्रद्धांजलि और नमन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन सर्व जीत झा “अंतेवासी” द्वारा हर वर्ष की तरह इसबार भी सुबह 8/45 पर की गई। सैकड़ों की संख्या में देश भक्तों ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर नेता जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और उन्हें नमन करते हुए हार्दिक श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर नेता जी पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर कई गणमान्य नागरिको के अलावे एसडीपीओ गोड्डा ने भी नेताजी की प्रतिमा को सैल्यूट किया और फूल माला अर्पित किए।