कुख्यात गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव की रांची सिविल कोर्ट में हुई पेशी, 15 दिन के न्यायिक हिरासत में भेजा गए

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झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव को गुरुवार ( 18 मई) को रांची के सिविल कोर्ट में पेश किया गया. पेशी के बाद कोर्ट ने उसे 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. बता दें कि झारखंड एटीएस की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर उसे 16 मई को मुबंई से गिरफ्तार किया था.

कड़ी सुरक्षा के बीच हुई पेशी

अमन श्रीवास्तव की 16 मई को रांची के सिविल कोर्ट में पेशी हुई. इस दौरान कोर्ट परिसर से लेकर हर जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे. कोर्ट के न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के आदेश के बाद अब अमन श्रीवास्तव को बिरसा मुंडा जेल ले जाया गया  है.

कौन है अमन श्रीवास्तव
अमन श्रीवास्तव, झारखंड में एक्टिव कुख्यात “श्रीवास्तव गैंग” का मुखिया है. श्रीवास्तव गैंग की शुरुआत अमन के पिता सुशील श्रीवास्तव ने साल 1995 के आस-पास की थी. सुशील श्रीवास्तव, झारखंड का कुख्यात कोयला माफिया था. शुरुआत छोटी हुई लेकिन धीरे-धीरे सुशील ने कई जिलों में अपना दबदबा बना लिया था. सुशील का प्रभुत्व झारखंड के कई इलाके में फैला हुआ था. सुशील श्रीवास्तव को आपराधिक कृत्यों के लिए कई बार जेल भी भेजा गया. सुशील ने कई लोगों की हत्या कर अपना वर्चस्व स्थापित किया था. 2010 में जब सुशील जेल गया तो फिर वह बाहर नहीं आया, कुछ मामलों में पेशी के लिए सुशील को 2 जून 2016 को हजारीबाग व्यवहार न्यायालय लाया गया. इसी दौरान हजारीबाग कोर्ट परिसर में सुशील श्रीवास्तव की हत्या कर दी गई. जिसके बाद श्रीवास्तव गैंग की कमान सुशील के बड़े बेटे अमन श्रीवास्तव ने संभाल ली थी. अमन ने गिरोह को आगे बढ़ाने का काम किया. धीरे-धीरे अमन का भी खौफ बढ़ने लगा.

अमन का खौफ रांची, लातेहार, पतरातू, चतरा, धनबाद, हजारीबाग के इलाकों में फैल गया. वर्तमान में कोयलांचल में इस गिरोह का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है. अमन के गिरोह ने रंगदारी को अपना पेशा बना लिया था. श्रीवास्तव गैंग के द्वारा कोयला कारोबारी, आउटसोर्सिंग, व्यवसायियों से रंगदारी वसूली जाती थी. वहीं, रंगदारी नहीं देने पर वाहनों में आगजनी और जान से मारने की धमकी भी दी जाती है. कई बार जो लोग रंगदारी नहीं देते थे उन्हें जान से मार भी दिया जाता था. अमन के गैंग के नाम 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं जिसमें हत्या के दो, हत्या के प्रयास के चार, रंगदारी की 13, आमर्स एक्ट के दो, यूएपीए एक्ट (UAPA ACT) का एक मामला शामिल है. टाटा माइंस, एलएंडटी में फायरिंग आदि की घटनाओं में इस गिरोह की संलिप्तता रही है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक अमन श्रीवास्तव पिछले 7-8 सालों से तकनीकी रुप से दक्ष होकर भारत के कई राज्यों में ठिकाना बनाकर अपनी कार्रवाई को अंजाम दे रहा था. इसी बीच झारखंड एटीएस ने गुप्त सूचना के आधार पर अमन को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया. एटीएस ने अमन श्रीवास्तव सहित गैंग में शामिल 15 आरोपितों के खिलाफ एटीएस थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली है. सभी आरोपितों पर अनलॉफुल एक्टिविटिज एक्ट (यूएपीए) भी लगाया गया है.

एटीएस की अब तक की छानबीन में इस बात का खुलासा हुआ है कि अमन श्रीवास्तव खुद कभी भी न तो कोई कांड करता है और न ही लेवी ही वसूलता है. वह अपने गुर्गों-सहयोगियों, यहां तक की रिश्तेदारों के माध्यम से दहशत फैलाने, लेवी वसूलने का काम करवाता था. एटीएस की टीम इस गिरोह के फंडिंग, आर्थिक स्रोत व हवाला चैनल का भी पता लगा रही है. इस गिरोह से जुड़े बैंक खाते भी तलाशे जा रहे हैं, ताकि उस पर कार्रवाई की जा सके.