Eksandeshlive Desk
नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम ने टेस्ट इतिहास में एक अनचाहा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। भारत ऐसी पहली टीम बन गई है जो पांच बल्लेबाजों के शतक के बावजूद कोई टेस्ट मैच हार गई हो। इससे पहले कभी भी किसी टीम को चार या उससे अधिक शतक लगने के बाद हार का सामना नहीं करना पड़ा था। यह रिकॉर्ड आखिरी बार 1928 में तब दर्ज हुआ था, जब ऑस्ट्रेलिया ने एमसीजी पर इंग्लैंड से हार झेली थी। यह ऐतिहासिक हार हेडिंग्ले टेस्ट में दर्ज हुई, जहां इंग्लैंड ने 371 रनों के लक्ष्य का पीछा कर सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली। इस यादगार जीत के नायक रहे बेन डकेट, जिन्होंने 149 रन की विस्फोटक पारी खेलकर चेज़ की नींव रखी।
एजबेस्टन टेस्ट से पहले जल्दी संभलने की जरूरत : डकेट ने जैक क्रॉली के साथ पहले विकेट के लिए 188 रनों की साझेदारी की। क्रॉली ने संयमित 65 रन बनाए। दोनों बल्लेबाजों को भारतीय फील्डिंग में मिले जीवनदान का भरपूर फायदा मिला — क्रॉली 42 पर और डकेट 97 पर जीवनदान पाकर आगे बढ़े। भारत की ओर से पांच बल्लेबाजों ने शतक जमाए, लेकिन गेंदबाज़ी और फील्डिंग में चूकों ने टीम को भारी नुकसान पहुंचाया। आखिरी दिन इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने तेजी से रन बनाते हुए भारत से जीत छीन ली। अब भारत को एजबेस्टन टेस्ट से पहले जल्दी संभलने की जरूरत है। टीम चयन में बदलाव की संभावना है, खासकर जब कुलदीप यादव जैसे कलाई के स्पिनर बेंच पर तैयार हैं। यह हार सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत के लिए चेतावनी है कि केवल रन बनाना काफी नहीं — मौके भुनाना और गेंदबाज़ी में धार लाना भी उतना ही जरूरी है।
गिल ने कहा-निचले क्रम ने निराश किया : वहीं एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड के हाथों 371 रन का विशाल लक्ष्य गंवाने के बाद भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने बल्लेबाज़ी और फील्डिंग में हुई गलतियों पर निराशा जताई। गिल ने बताया कि टीम की योजना इंग्लैंड को 430-435 रन का लक्ष्य देने की थी, लेकिन निचले क्रम की लगातार दूसरी नाकामी ने भारत को सिर्फ 364 रन तक सीमित कर दिया। गिल ने मंगलवार को मैच के बाद कहा, “हमारी योजना थी कि हम लगभग 430-435 का लक्ष्य देकर डिक्लेयर करेंगे। लेकिन हमारे आखिरी छह विकेट सिर्फ 31 रन जोड़ सके, जो निश्चित ही हमारे लिए अच्छी बात नहीं थी।” भारत ने पहली पारी में अंतिम सात विकेट 41 रन पर गंवाए थे, जबकि दूसरी पारी में छह विकेट सिर्फ 31 रन में गिर गए। गिल ने कहा कि टीम इस कमजोरी को सुधारने के प्रयास में है। गिल ने कहा, “हां, हमने इस पर चर्चा की थी, लेकिन जब आप मैदान पर होते हैं, तो सब कुछ बहुत जल्दी होता है। हमें इस तरह के पतनों से बचना होगा, और फील्डिंग में सुधार करना होगा।”
ऐसी विकेटों पर मौके बार-बार नहीं मिलते : मैच के दौरान भारत ने कुल सात कैच छोड़े, जिनमें से दो अंतिम पारी में थे। इनमें बेन डकेट भी शामिल रहे, जिन्हें दो बार जीवनदान मिला और उन्होंने 170 गेंदों पर 149 रनों की मैच जिताऊ पारी खेली। गिल ने कहा, “ऐसी विकेटों पर मौके बार-बार नहीं मिलते, और हमने कई कैच छोड़े। लेकिन हमारी टीम युवा है, सीखने की प्रक्रिया में है। उम्मीद है कि अगले मैचों में हम इसमें सुधार करेंगे।” गेंदबाज़ी की बात करें तो रवींद्र जडेजा को पांचवें दिन कुछ रफ जरूर मिले, लेकिन वह केवल एक विकेट – बेन स्टोक्स का – ही ले सके। जडेजा ने 24 ओवर में 104 रन देकर एक विकेट लिया। डकेट ने उन्हें रिवर्स स्वीप के जरिए खूब निशाना बनाया और उनके खिलाफ 38 गेंदों में 38 रन बनाए। गिल ने जडेजा के प्रदर्शन का बचाव किया और कहा, “उन्होंने शानदार गेंदबाज़ी की। उन्होंने हमारे लिए मौके बनाए भी, कुछ कैच उछले जो रिषभ ने नहीं देखे। लेकिन ऐसा क्रिकेट में होता है। कई बार मौके आपके पक्ष में नहीं जाते।” भारत अब सीरीज में 0-1 से पीछे है और शेष चार टेस्ट मैचों में वापसी करने की चुनौती उसके सामने है।