प्रतापपुर प्रखंड में एक ही दिन में 15वीं वित मद की करोड़ों की राशि की हुई निकासी

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अजय राज
प्रतापपुर(चतरा):पंचायती राज विभाग के द्वारा पंचायतों को विकास कार्य कराए जाने हेतु 15वीं वित आयोग की राशि उपलब्ध कराई गई है।सरकार के गाइडलाइन के अनुसार यह प्रावधान है कि मुखिया सचिव को ग्रामसभा में अनुमोदन कराकर ग्राम पंचायत विकास कार्यक्रम में चयनित कार्य पर ही खर्च किया जाना है। लेकिन बजटीय वर्ष के अनुसार बजट राशि खर्च नहीं की जा रही है। साथ ही 15वें वित आयोग की राशि जो साल में दो बार आती है बेसिक काम पर खर्च करने के लिए भारत सरकार राशि देती है लेकिन वह भी मदवार खर्च नहीं किया जा रहा है। प्राप्त राशि का टाइड फंड में 60% राशि प्राप्त होती है , जिसमे हर वर्ष 30 %पेयजल और 30% स्वच्छता पर खर्च करना होता है। उसके बाद भी करोड़ों खर्च के बाद भी पानी और स्वच्छता की समस्याएं पूर्व की भांति बनी हुई है। शेष 40 % की राशि अनटाइड फंड की रूप में प्राप्त होती है जिसे अन्य आवश्यक आवश्यकता वाले कार्यों पर खर्च करनी हैं। परंतु इन सभी नियमों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। जीपीडीपी कुछ और बना कर पोर्टल पर ऑनलाइन किया गया है और कार्य खुदके मनमुताबिक हो रहा है और राशि का भुगतान किया जा रहा है। अभी इसी पिछले दिसंबर माह से लेकर फरवरी माह तक हीं बिल वाउचर लगाकर कुल 2 करोड़ 1 लाख 94 हजार 171 रुपए का भुगतान संबंधित वेंडर को किया गया है इसमें अकेले सिर्फ जनवरी माह में ही एक या दो दिन में हीं एक करोड़ से ज्यादा की राशि की निकासी की गई है। किसी किसी पंचायत में तो जनवरी माह के एक या दो दिन में हीं रातों रात 18 लाख, 21 लाख, 16 लाख , 10 लाख, 15 लाख तथा 11 लाख तक का भुगतान वेंडर को किया गया है। मजे की बात तो यह है कि अधिकतर राशि एक हीं वेंडर के खाते में ट्रांसफर की गई है जो जांच का विषय है। 15 वीं वित की राशि को सीमेंटेड चेयर, सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन, हैंडवाश यूनिट, वाटर कूलर , ज़लमीनार मरम्मती, जलमीनार अधिष्ठान, सार्वजनिक शौचालय और सार्वजनिक स्नानघर , फ़ेबर ब्लॉक, कल्वर्ट पुलिया निर्माण, पंचायत भवन सुदृढ़ीकरण आदि दिखाकर 15वीं वित की राशि निकाली गई है। अब सवाल यह उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर फिफ्टीन फाइनेंस की राशि निकासी हुई है तो क्या वाकई में कार्य धरती पर हुए हैं या सिर्फ और सिर्फ फर्जी बिल वाउचर के आधार पर राशि का बंदरबांट किया गया है। कई पंचायत के वार्ड सदस्यों एवं पंचायत समिति सदस्य को तो इसकी भनक तक नहीं है। वहीं कई पंचायतों में जीपीडीपी में चढ़ाए गए योजना और ईग्राम स्वराज पोर्टल पर योजना को पूर्ण दिखाकर पेमेंट करने में दूर दूर तक एकरूपता नहीं है उसके बाबजूद योजना को पूर्ण दिखाकर राशि का भुगतान संबंधित लाभुक/एजेंसी को कर दिया गया है। जो स्थल वेरिफिकेशन के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जब कई पंचायत के वार्ड सदस्यों से जानकारी ली गई तो उनका कहना है कि सिर्फ फर्जी ग्रामसभा कर योजना मनमुताबिक ले ली जाती है वहीं जब सीमेंटेड चेयर, वेंडर मशीन या वॉटर कूलर आदि की खरीद की बात पूछी गई तो उनका जवाब था कि कोई क्रय समिति की बैठक कर निर्णय नहीं होता है यहां तक कि वार्ड सदस्यों की फर्जी हस्ताक्षर कर कार्यकारणी या क्रय समिति की बैठक दर्शा कर सामानों की खरीददारी मुखिया तथा पंचायत सचिव के द्वारा कर ली जाती है। वहीं कई गांव वालों ने बताया कि पुराने चापानल में हीं जलमीनार आदि अधिष्ठान कर उसे नया रूप देकर राशि का गबन कर लिया जाता है। कई बार तो किसी और मद से बनाए गए पुल पुलिया या नाली आदि को भी 15 वित से निर्माण बताकर नया रूप देकर राशि की निकासी कर ली जाती है। सारे मामले को लेकर कई पंचायत के वार्ड सदस्यों तथा पंचायत समिति सदस्यों ने पंद्रहवीं वित की राशि बड़े पैमाने कर निकासी होने तथा पंचायत में उसके अनुरूप कार्य नहीं दिखने को लेकर उप विकास आयुक्त चतरा तथा पंचायती राज विभाग को लिखित शिकायत करने की बात कही है।वहीं पूरे मामले को लेकर जब ब्लॉक कॉर्डिनेटर (15वीं वित)से बात किया तो उनका कहना है कि इस मामले में मैं कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं।