Eksandeshlive Desk
बड़कागांव : सामाजिक मनमुटाव के बीच उमंग और हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुवा बनस मेला , सामाजिक मनमुटाव कहने का कारण यह है कि कई ऐसे समाज के अगुवा और गणमान्य लोग जो वर्षों से बनस पूजा मेले में हिस्सा लेते आ रहे थे वे इस बार बनस मेला आयोजन में हिस्सा नहीं लिये l हिस्सा नहीं लेने का कारण है, राम जानकी मंदिर का विवादित जमीन , जी हाँ , इसी विवाद के कारण 12 वर्षों तक बड़कागांव में बनस मेला का आयोजन बंद रहा और फिर जब शुरू हुआ तो विवाद खत्म किए बिना शुरू हुआ l हालांकि बडकागांव में 12 वर्षों के बाद आयोजित मंडा पूजा/ बनस मेला शनिवार को राम जानकी मंदिर प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया l
मेले में कई आकर्षक दुकाने लगाई गई थी। छऊ नाच का भी आयोजन किया गया था । दूर गांव से हजारों की संख्या में लोग मंडा पूजा बनस मेला देखने आए थे। पूजा में 27 भगतों ने भाग लिया, शुक्रवार देर रात भगतों के अलावा दर्जनों श्रद्धालुओं ने दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर आस्था का परिचय दिया। तत्पश्चात शनिवार की सुबह शिव पार्वती पूजा में शामिल 27 भगतों में 25 भगतों ने अपने पीठ पर लोहे की कील लगवा कर 40 फीट ऊंचे लट्ठे से परिक्रमा किया। परिक्रमा में भगतों के द्वारा प्रसाद स्वरूप पुष्प की वर्षा की गई।इस दौरान हजारों लोग फूल को लपकने के लिए ललायीत नजर आये l बडकागांव का बनस मेला बड़कागांव प्रखंड का ही नहीं बल्कि पूरे कर्णपुरा प्रक्षेत्र का विशिष्ट पूजा के रूप में लोग इसे जानते हैं। इसकी शुरुआत बड़कागांव प्रखंड के नयाटांड़ गांव से लगभग 200 वर्ष पूर्व शुभारंभ हुआ था। जिसमें सभी जाति समुदाय के लोगों का सहयोग मिला था। इस पूजा में भगवान शिव एवं माता पार्वती की विशेष पूजा होती है। इसकी तैयारी 20 – 25 दिन पूर्व से ही शुरू हो जाती है। इस दौरान भगतों को कई कष्टों के साथ कई परंपराओं से गुजरना पड़ता है तब कहीं जाकर पूजा सफल हो पाता है।
चुकी 12 वर्षों के बाद बनस मेला का आयोजन हुआ था जिसके कारण लोगों की मेले में भीड़ बहुत अधिक थी और भीड़ को मैनेज करने के लिए पूजा समिति की ओर से पर्याप्त व्यवस्था नजर नहीं आ रही थी सुबह जब भक्त लोगों के झूलने का समय आया तो मंदिर प्रांगण के अंदर लोगों की भीड़ के कारण जबरदस्त जाम हो गया लोग गिरने लगे कई महिलाओं के मंगलसूत्र और गहने चोरी होने की घटना घाटी, भीड़ के कारण कई बच्चे अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे जिसे पूजा समिति के द्वारा ढूंढ कर उनके माता-पिता को सौपा गया l मेले में जहां मंदिर प्रांगण के बाहर भीड़ को मैनेज किया जा सकता था वहां छव नृत्य का आयोजन होने और कई दुकानों के लगाए जाने के कारण भीड़ इधर से उधर भटकती नजर आई l पूजा एवं बनस मेला को सफलता पूर्वक संपन्न कराने में मुख्य रूप से अध्यक्ष पिंटू गुप्ता,
पुरोहित सतीश चंद्र मिश्रा, पुजारी चिंतामणि महतो, कोषाध्यक्ष दर्शन प्रसाद कुशवाहा, इंग्लेश सोनी, आनंद कुमार, कैलाश कुमार,
भगतों में कार्तिक (संगठन )भगत, जयधन भगत सह् पुजारी, धनेश्वर पाठ बजनिया, पूसन पाठ भगत, विकास फुलभगत, विवेक हनुमान चटिया भगत, घनश्याम गँवाट भगत, चंद्र भगत लकुरा,संजीत भगत, मनोज भगत जमनीडीह,विनोद भगत,मनोज भगत,देवकी भगत मिर्जापुर,मुकेश भगत मांडू, संतोष भगत,संजय भगत,करण भगत, तुलसी भगत तेलियातरी, दिलु भगत कदमाडीह, पवन भगत सोमनाथ भगत तेलियातरी,भोला भगत, रंजीत भगत, दिलीप भगत पड़रिया, साहिल भगत,चेतलाल भगत शामिल थे।