सीआईपी प्रबन्धन में बदलाव उचित: डॉ. सहदेव राम

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KAMSH THAKUR

रांची: केन्द्रीय कर्मचारी एवं अधिकारी परिसंघ के अध्यक्ष डॉ. सहदेव राम ने कहा की केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के अधीनस्थ है। इसकी स्थापना 1918 में काँके में हुई थी। सीआईपी भारत सरकार का एक प्रतिष्ठित संस्थान की गिनती में आता है, जिसका वार्षिक बजट लगभग 200 करोड़ प्रतिवर्ष है। भारत का एक ऐसा संस्थान जो तरह-तरह के विवादों से घिरता रहा है, चाहे वो मशीनी उपकरण खरीद की बात हो, फर्निचर खरीद का मामला हो, सुरक्षा गार्ड नियुक्ति का मामला हो या फिर नियुक्ति का मामला हो, जिनमें वार्ड अटेडेन्ट, सफाई कर्मी, नर्सिंग स्टाफ आदि।
रिकार्डो को देखने से पता चलता है कि 2008 से लेकर 2015 और 2021 के बीच संस्थान में हो रहे व्यापक भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ, जिसके विरोध में अनेक समाजिक कार्यकर्ता, समाजिक संगठनों एवं केन्द्रीय कर्मचारी संगठनों ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय के समक्ष दर्ज की गई यहाँ तक कि प्रधानमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज किया गया। सीआईपी एक ऐसा संस्थान है, जहाँ पर रोगियों की संख्या में कभी बढ़ोत्तरी होते रहता है, जिसके कारण जब रोगियों की संख्या में कमी होती है तो नर्सिंग स्टाफ/अधिकारियों को दूसरे विभागों में लगाया जाता रहा है, जिनमें कम्प्यूटर अनुभाग, सिटी स्केन, ईसीजी, ओपीडी, लाउण्ड्री एवं सामान्य वार्ड ताकि बाबुओं की सेवा की जा सके।
आश्चर्य इस बात का है कि नर्सिंग स्टाफ की कमी नहीं होने के बावजूद भी 2021 अप्रैल में 20 नर्सिंग अधिकारिेयों की नियुक्ति की प्रक्रिया कोरोना काल में की गई, जबकि भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा फिजिकल एगजाम पर रोक था, बावजूद निदेशक द्वारा राँची में 4 केन्द्र बनाकर परीक्षा ली गई जिसके लिए 2400 उम्मीदवारों को प्रवेश पत्र निर्गत किया, जिसमें मात्र 450 उम्मीदवार ही शामिल हुए, चूंकि यह देश स्तर की परीक्षा थी और कोरोना काल चरम सीमा पर था। 18 अप्रैल को परीक्षा ली गई जिसमें 107 उम्मीदवारों का चयन काउसिलिंग के लिए किया गया, 20 अप्रैल को काउसिलिंग किया गया और उसी दिन निदेशक बासुदेव दास के हस्ताक्षर से रिजलट जारी किया गया। स्थापना अनुभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत का भी मामला सामने आया था। उस नियुक्ति में आरक्षण नीति का खुला उल्लंघन किया गया था, जिसमें ओबीसी कोटे में एससी कोटा में, एसटी को जेनरल कोटा में तथा ओबीसी को जेनरल कोटा में नियुक्त किया गया।
इस घोर अनियमितता की शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार, गृह मंत्रालय भारत सरकार, केन्द्रीय सतर्कता आयोग, स्वास्थ्य महानिदेशक, सचिव स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार सीबीआई,यहाँ तक कि प्रधानमंत्री के पोर्टल में भी शिकायत दर्ज की गई तथा जॉच के लिए अनुरोध किया गया। मामले को दबाने की कोशिश की गई, किन्तु लगातार पत्राचार होने पर जॉच अधिकारियों की निुयक्ति की गई तथा समय समय पर जॉच समिति का आगमन होता रहा, किन्तु देखा गया था कि एक जॉच समिति जो प्रबंधन का पक्ष ले रहा था उसके विरूद्ध भी शिकायत दर्ज किया गया था। फिर स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जॉच कमिटि द्वारा जॉच की गई और भी तरह के जॉच के बाद सीआईपी के निदेशक श्री वासुदेव दास के साथ साथ तीन कर्मचारी को भी विभागीय कार्रवाई की गई जो भारत सरकार के पारदर्शिता को दशार्ता है। क्योंकि प्रधानमंत्री देश से भ्रष्टाचार का खातमा चाहते हैं। इस कारवाई से अधिकांश कर्मचारी खुश है तो कुछ ग्रुप के कर्मचारी चिन्तित और नाराज है। वहीं संस्थान द्वारा 101 एमटीएस पदों की भर्ती के लिए 2018 के दिसम्बर माह में विज्ञापन निकाला था। किन्तु आजतक बहाली की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।