शिवम क्लिनिक के गेट पर घंटों पड़ी रही घायल नाबालिक, नहीं मिला इलाज

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Eksandesh Desk

झुमरी तिलैया/गोमो: सतपुलिया के पास स्थित शिवम क्लिनिक के गेट के सामने सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक घंटों घायल नाबालिक बच्ची मदहोश पड़ी रही परंतु किसी ने हाथ तक नहीं लगाया । बच्ची के सर पर गंभीर चोट लगी थी, परंतु उसे तत्काल में ना तो क्लीनिक के किसी कर्मचारी या चिकित्सक से इलाज की सुविधा मिली और ना ही अगल-बगल के स्थानीय लोगों के द्वारा कोई उपचार संबंधित मदद। 

क्लीनिक की महिला सफाई कर्मी सुनीता देवी से हुई। पूछने पर पता चला कि क्लीनिक में कोई भी स्टाफ नहीं है। डॉक्टर साहब छुट्टी पर है, एक भी मरीज नहीं है । आप विशेष जानकारी फोन के माध्यम से हमारे कंपाउंडर संदीप से ले सकते हैं। सुनीता देवी के फोन से कंपाउडर संदीप से बात हुई तो उन्होंने बताया कि ग्रिजली बी एड कॉलेज की छात्रा व डोंगाड़ी के लड़के के द्वारा इस बच्ची को सुबह क्लीनिक के दरवाजे पर लाया गया था । हमारे क्लीनिक में कोई डॉक्टर या नर्स भी नहीं है। अतः प्रशासन व थाना को संबंधित विषय की सूचना मैंने दी। थाना से कहा गया कि नगर पालिका को खबर करें जब मैं नगर पालिका मैने संबंधित विषय की जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि चाइल्ड केयर को खबर करें । मैंने तो 108 में एंबुलेंस के लिए भी फोन किया परंतु एंबुलेंस में ड्राइवर नहीं रहने के कारण तत्काल एंबुलेंस यहां उपलब्ध नहीं हो पाया । अंततः लगभग 2:00 बजे चाइल्ड केयर एवं पुलिस की गाड़ी आकर बच्ची को उठाकर सदर अस्पताल कोडरमा में भरती करने के लिए ले गए। 

चाइल्ड केयर के प्रोजेक्ट इंचार्ज विकास कुमार से बातचीत में जानकारी मिली कि उन्हें संबंधित घटना की जानकारी टोल फ्री नंबर से मिली फिलहाल बच्ची के सर पर टांका लगाया गया है और वह सोई हुई है । इसलिए बच्ची से संबंधित विशेष जानकारी हमें नहीं मिल पाई है। 

अब सवाल यह उठता है की शिवम क्लिनिक, कई कमरों का मल्टी स्टोरी हॉस्पिटल तो दिखता है परंतु यहां डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ की सुविधा उपलब्ध नहीं है। सिर्फ ऊंची बिल्डिंग व बड़े-बड़े कमरे से अस्पताल स्थापित नहीं हो सकता। क्लीनिक के दरवाजे पर लगे बोर्ड में डॉक्टर मयूरी सिंह, डॉक्टर अमरेंद्र कुमार सिन्हा और डॉक्टर विनय कुमार सिंह का नाम बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है। परंतु सच्चाई यह है की इस इमरजेंसी के समय में यहां कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है, और ना ही कोई नर्सिंग स्टाफ , ऐसे में घायल मरीज कहां जाए। भगवान ही बचाए ऐसे हॉस्पिटल से और ऐसी व्यवस्था से जो इन्हें अस्पताल चलाने की अनुमति देते हैं।