Eksandeshlive Desk
रांची: पुंदाग स्थित श्री राधा कृष्ण प्रणामी मंदिर में श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा शरद पूर्णिमा का पर्व हर्षोल्लास एवं भक्ति भाव से मनाया गया। इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण दिव्य अलोकिकता से आलोकित हो उठा, जब श्री राज श्यामा जी का श्वेत वस्त्रों एवं आभूषणों से अलौकिक श्रृंगार किया गया। श्रृंगार दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पूरे वातावरण में भक्ति और श्रद्धा की गूंज सुनाई देने लगी। रात्रि में मंदिर प्रांगण में भजन कीर्तन एवं सामूहिक आरती का विशेष आयोजन हुआ। ट्रस्ट के भजन गायको द्वारा मनमोहक भजन प्रस्तुत किए गए प्रभु श्रीकृष्ण एवं राधा रानी के मधुर भजनों ने समस्त वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। आरती के समय दीपों की पंक्तियाँ और चंद्रमा की चांदनी ने माहौल को अत्यंत आध्यात्मिक एवं दिव्य बना दिया।शरद पूर्णिमा की रात्रि को विशेष महत्व प्राप्त है, क्योंकि इसे ‘रास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस रात्रि चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होता है और उसकी चांदनी में औषधीय गुण होते हैं। इसी मान्यता के अनुसार मंदिर में 101 किलो दूध से बनी खीर का विशेष भोग तैयार किया गया, जिसे रात्रि भर चंद्रमा की रोशनी में रखा गया। श्रद्धालुओं ने इस दृश्य को बड़े श्रद्धाभाव से निहारा।
आज सुबह मंदिर के मुख्य पुजारी अरविंद पांडे ने विधिपूर्वक खीर का भोग लगाया और तत्पश्चात इसे उपस्थित श्रद्धालुओं के बीच प्रेमपूर्वक वितरित किया गया। इस दिव्य प्रसाद को पाने के लिए श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया। इस अवसर पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल एवं प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी संजय सर्राफ ने शरद पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह पर्व आत्मशुद्धि, भक्ति एवं शांति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा न केवल भगवान श्रीकृष्ण के रास लीला का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और मानव जीवन के बीच संतुलन का भी संदेश देती है।
पूरे कार्यक्रम का आयोजन ट्रस्ट के सदस्यों एंव स्थानीय श्रद्धालुओं के सहयोग से अत्यंत अनुशासित और भव्य रूप से संपन्न हुआ। श्रद्धालुओं ने इसे एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बताया। श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा इस प्रकार का आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को पुष्ट करता है, बल्कि समाज में सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक चेतना को भी जागृत करता है। शरद पूर्णिमा का यह पर्व एकता, श्रद्धा और सेवा की भावना के साथ सम्पन्न हुआ।