अशोक अनन्त
हंटरगंज (चतरा) :प्रखंड के कटैया पंचायत अन्तर्गत ग्राम घंघरी मे श्रावण मास के पावन अवसर पर जय शिव ग्राम सुरक्षा समिति घंघरी के तत्वावधान मे श्री शिव महापुराण कथा का श्रवन शिव भक्तों ने पुरे मास भक्तिमय रस मे सरोबार होकर किया जिसका सोमवार अंतिम सोमवारी व श्रावण पूर्णिमा के दिन हवन-पूजन के एवं सांस्कृतिककार्यक्रम के साथ सम्पन्नहुआ। सांस्कृतिक कार्यक्रम मे रातभर भक्तों ने भजन संध्या का झुमकर आनन्द उठाया। श्रावण पुरे महिने संध्या लगभग 7 से 9 बजे तक कथावाचक अवध किशोर शास्त्री जी के मुखारबिंद से भक्त जन कथा का श्रवन कर रहे थे।
कथा के माध्यम से मानव जीवन के मूल उद्देश्य सद्कर्म की प्रधानता का व्याख्यान किया जाता है जिसे अपने जीवन मे धारण कर मनुष्य जीवन को सार्थक बना सकता है। महापुराण मे वर्णित कथा के अनुसार यह कथा नैमिषारण्य मे सुना गया था और भगवान शिव ने अपने अध्यात्मिक नगरी काशी जिसे आनन्द वन के नाम से भी जाना जाता है को अपने त्रिशूल पर बसाया है और यह भोलेनाथ को विशेष प्रिय है उनका वरदान है की काशी नगरी मे कभी भी अमृतधारा दुग्ध घी की कमी नही होगी।
इस नगरी मे जिसकी मृत्यु होती है वह मुक्ती को प्राप्त होता है यहीं महाश्मशान स्थित है। काशी में गंगा नदी के तट पर मणिकर्णिका घाट है। इसको महाश्मशान भी कहा जाता है। यह घाट बेहद प्रसिद्ध काशी के सबसे पुराने घाटों में एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां अंतिम संस्कार करने से मृत इंसान की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवमहापुराण कथा मे सृष्टी सृजन, समुद्र मंथन से लेकर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग की विस्तृत कथा का वर्णन मिलता है।
इन द्वादश ज्योतिर्लिंग मे झारखण्ड मे देवघर बाबा वैद्यनाथ,उत्तराखण्ड मे केदारनाथ, तमिलनाडू मे रामेश्वरम,महाराष्ट्र नासिक मे त्र्यमबकेश्वर,औरंगाबाद मे घृष्णेश्वर और पुणे मे भीमाशंकर,गुजरात दारुकावनम मे नागेश्वर और गीर सोमनाथ मे सोमनाथ,मध्यप्रदेश खंडवा मे ओंकारेश्वर और उज्जैन मे महाकालेश्वर,उत्तरप्रदेश वाराणसी मे बाबा काशी विश्वनाथ और आंध्रप्रदेश के शैलम मे मल्लिकार्जुन स्थित हैं। विगत कई वर्षों से कथा का आयोजन होते आ रहा है,जिसमें व्यवस्थापक भूतपूर्व मुखिया सत्येंद्र प्र.सिन्हा ,अध्यक्ष परमानन्द साव,संतोष गुप्ता, अशोक अनन्त, पवन गुप्ता,विकास ठाकुर, मायान्नद साव,शिवरतन साव, सन्नी कुमार रामाशीष चौबे, उदय गुप्ता,मिथलेश चौहान,रविंद्र यादव,संजीत साव, संरक्षक शिव प्र.सिन्हा,कैलाश साव एवं अन्य लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।