सरना को अलग धर्म कोड के रूप में नहीं दर्ज कराने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार: रघुवर

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Eksandeshlive Desk

पलामू : पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने जातीय जनगणना में ‘सरना’ को अलग धर्म कोड के रुप में नहीं दर्ज कराने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। रघुवर दास मंगलवार को मेदिनीनगर में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। प्रेस कांफ्रेंस में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि पीवी नरसिंह राव की केंद्र सरकार में उनकी पार्टी ने ‘सरना’ धर्म के अलग से कॉलम होने की बात की थी, जिसे नजरदांज कर दिया गया। दास से पूछा गया था कि क्या आप सरना परम्परा को अलग से दर्ज किए जाने के लिए सहमत हैं। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन को आज वोटों की चिंता हो रही है, जिससे वह इस मुद्दे को राजनीतिकरण करने के लिए ओछी बात कर रही है, इसमें उसे वोट बैंक दिख रहा है।

दास ने सीधे सरना की बढ़ती मांग की उपेक्षा करते हुए कहा कि ‘मुख्यमंत्री आदिवासी हैं और इनके ही मुख्य मंत्रित्व में सबसे ज्यादा जनजातीय समाज पददलित हो रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक स्थिति है।’ उन्होंने मौजूदा झारखंड सरकार को लूटखंड के निरुपित करते हुए कहा कि ‘राज्य में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक उद्योग हो गया है, भला एक बार में बीस-बीस आईएएस अफसरों के तबादले होते हैं, वह भी जिलाधिकारी (उपायुक्त) जैसे पद पर। रघुवर ने हेमंत सोरेन की सरकार को प्रचार तंत्र पर टिकी सरकार बताया और मंईयां सम्मान योजना को कलंक बताया। उन्होंने कहा कि ‘विधवा, वृद्ध, दिव्यांग जैसे सामाजिक पेंशन पाने वालों को पांच माह से इसके लाभ नहीं मिल पाये हैं, जिसमें मंईयां सम्मान योजना की भी भूमिका है। वह इसलिए कि पहले चुनाव में जन समर्थन जुटाने के लिए बगैर सोचे-समझे इसे क्रियान्वित कर दिया और जीत गये तो अब लाभुक के शर्त बदल दिए गए, जिससे करीब 30 लाख महिलाओं को इसके लाभ से वंचित होना पड़ा है, जिसे भाजपा बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार के आने के बाद झारखंड में नक्सल शक्तियों में वृद्धि हुई, लेकिन अमित शाह के कड़े रुख के कारण यह राज्य में अब अंतिम सांस गिन रही है।