सुलगते कोयले में हाथ सेकने की अधिकारियों को लग गयी है आदत

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कुलदीप कुमार दास
टंडवा (चतरा): जल रहे कोयले पर हाथ सेक रहे है सीसीएल के अधिकारी जी हां ऐसा ही कुछ माजरा है सीसीएल की आम्रपाली चंद्रगुप्त परियोजना में जहां लाखो टन कोयला जलकर राख में तब्दील हो गया और अधिकारियों की लापरवाही कुछ इस कदर रहा कि वे जलते कोयले में सिर्फ हाथ सेकते नजर आए। सीसीएल की सबसे बड़ी परियोजना मगध परियोजना के खुलने का जोश ग्रामीणों में कुछ इस तरह दिखाया गया जैसे अब इस क्षेत्र में गरीबी, भुखमरी रफूचक्कर हो जाएगी लोगो को बेहतर रोजगार, मुआवजा एवं नौकरी आज भी सही ढंग से नही मिल पाई। ताज्जुब की बात यह रही कि सीसीएल की आम्रपाली परियोजना में स्टॉक किया जमा कोयला जलता रहा और सीसीएल के अधिकारी आग बुझाने की कोशिश इस कदर करते दिखे जैसे कोई तूफान में पंखा चला रहा हो कोयले में आग लगती गई लगती गयी ओर शेष जो कोयला बचा वह डिस्पेच होकर समाप्त भी हो गया। वर्तमान में आलम यह है कि आज परेसानी कोयला का उचित ट्रान्सपोर्टिंग सड़क भी नही बन पाया जैसे तैसे आज भी सिर्फ काम खीचने की खानापूर्ति जारी है। वही दूसरी तरफ डीओ होल्डरों पर मनमाना टेक्स वसूली कर उन्हें भी कोयले के व्यवसाय में उदास कर दिया गया है। सीसीएल की आम्रपाली परियोजना में स्थिति कुछ बेहतर तो कही जा सकती है बशर्ते यहां भी मूलभूत सुविधाओं को पुरा किये बगैर ही सीसीएल ने काफी गुल खिलाये जिस पर सरकार की नींद भी अब तक नही खुल पाई है। वही दिलचस्प बात यह है कि जल रहे कोयले पर अधिकारी गर्म के मौसम में बड़े आराम से अपनी जेभ ओर हाथ गर्म करने में जुटे हुए है। सरकार को फाइलों में बता दिया जा रहा है कि क्षेत्र में उत्पादन भली भांति चल रही है। ऐसे में तमाम परेशानियों के बावजूद सीसीएल की आम्रपाली परियोजना आज एशिया में नम्बर वन कहा जा रहा जबकि नजारा यहां कुछ और ही बयान कर रही है। जिसका जिम्मेवार आज सीसीएल के अधिकारियों की गलत नीति रही। लोगो के चेहरे पर छाई मायूसी सीसीएल के अधिकारी कब तक दूर कर पाते है यह प्रश्न आज ज्वालामुखी की तरह लोगो के दिलो में फट रही है।