पटना में 23 जून को हुए विपक्ष की महाबैठक के बाद विपक्ष की अगली बैठक 13 जुलाई को शिमला में होने वाली थी. बाद में इस बैठक को शिमला की जगह बेंगलुरु कर दिया गया था. इसके बाद खबरें आई कि विपक्षी एकता की अलगी बैठक को अब मॉनसून सत्र के बाद रखा जाएगा. इसको लेकर जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने बाकायदा जानकारी भी दी थी. लेकिन अब एक नई जानकारी सामने आ रही है. इस महाबैठक और भाजपा के खिलाफ 2024 में विपक्ष को जोड़ने वाली बैठक 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी.
इस संबध में जानकारी साझा करते हुए कांग्रेस के महासचिव केसी वेनुगोपाल ने ट्वीट कर लिखा- “पटना में बेहद सफल सर्व-विपक्ष बैठक के बाद, हम 17 और 18 जुलाई, 2023 को बेंगलुरु में अगली बैठक करने जा रहे हैं.
हम फासीवादी और अलोकतांत्रिक ताकतों को हराने और देश को आगे ले जाने के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के अपने अटूट संकल्प पर कायम हैं.”
हालांकि, सुबह से ही ये खबर आ रही थी कि इस बैठक को फिलहाल टाल दिया गया है. इस बैठक को टालने के पीछे की वजह 20 जुलाई से 11 अगस्त तक होने वाले मॉनसून सत्र को बताया जा रहा था.
जदयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि 20 जुलाई से 11 अगस्त तक ससंद में मॉनसून सत्र चलेगा जिस कारण सभी नेता उपस्थित नहीं हो पाएंगे. इसी कारण बैठक की तारीख को आगे बढ़ाया जाएगा. हालांकि अब इस बैठक की ताऱीख तय हो चुकी है.
आपको बता दें विपक्षी दलों की बैठक का पहला आयोजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. इस बैठक का पहला आयोजन पटना में 23 जून को हुआ था. जिसमें विपक्ष के 15 राजनितिक दलों ने हिस्सा लिया था. जिसमें यह फैसला लिया गया था कि विपक्ष की एकता औऱ 2024 में भाजपा को हराने को लेकर अगली बैठक भी होगी. उस बैठक में विपक्षी एकता को मजबूत करने और आगे की रणनीति पर चर्चा होनी थी. अब देखना होगा की 17 और 18 जुलाई को बेंगलुरु में किन- किन मुद्दों पर चर्चा होती है.
इस सब के बीच देश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है. पहले ये अटकलें लगाई जा रही थी कि कुछ लोग इस बैठक में शामिल होने के बाद महाहठबंधन से बाहर हो सकते हैं. और ये बात कल साबित हो गया, जब महाराष्ट्र में एनसीपी के अजीत पवार 35 विधायकों के साथ भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए. शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं, एनसीपी के 9 विधायकों को मंत्री पद की शपथ भी ली.
आपको बता दें कि एनसीपी नेता प्रफुल पटेल जो इस विपक्षी एकता के बैठक में शामिल हुए थे, वो भी अजीत पवार संग भाजपा शिवसेना सरकार में शामिल हो गए हैं. इसे एनसीपी और विपक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
फिलाहाल देखना होगा कि विपक्ष एकता की अगली बैठक में क्या होगा. लेकिन इस बीच इस पर भी ध्यान देने वाली बात होगी की आने वाले समय में कौन-कौन सी पार्टी या नेता इस विपक्षी एकता में जुड़ते हैं या इससे अलग होते हैं. साथ ही ये विपक्षी एकता 2024 के लोकसभा चुनाव में कितना कारगर साबित होती है.