आशुतोष झा
काठमांडू: नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने अपने राजगद्दी छोड़ने के निर्णय को कमजोरी न समझने की चेतावनी दी है। प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर जारी अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा कि राष्ट्रहित में उन्होंने त्याग किया, लेकिन वर्तमान व्यवस्था ने अपेक्षित सुधार नहीं किया है। पूर्व राजा ने स्मरण करते हुए कहा, “त्याग से किसी का कद छोटा नहीं होता, और इस भावना को कमजोरी नहीं समझना चाहिए।” उन्होंने नेपाल की मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश कमजोर होता जा रहा है, इतिहास मिटाया जा रहा है, और युवा शक्ति निरंतर विदेश पलायन कर रही है। उन्होंने राष्ट्र को बचाने के लिए सभी को एकजुट होने की अपील की।
पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र ने वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है। उन्होंने कहा, “व्यवस्था बदली, लेकिन जिन लोगों ने इसे बदला, वे हालात सुधारने में असफल रहे। प्रजातंत्र को जनता के विश्वास को मजबूत करने, लोगों को खुशी और समृद्धि देने वाला होना चाहिए, लेकिन तीन दशकों की राजनीतिक यात्रा में यह साबित नहीं हो पाया।” उन्होंने नेपाल के इतिहास, पहचान और संस्कृति को नष्ट किए जाने की बात कहते हुए चेतावनी दी कि “हम अपने इतिहास और पहचान का अपमान करके कभी आगे नहीं बढ़ सकते।” पूर्व राजा ने राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सभी नेपाली नागरिकों को राष्ट्रहित में एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमने पहले भी राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान के लिए त्याग किया था। अब नेपाल की प्रगति के लिए हमें और क्या-क्या त्याग करना होगा, इसके लिए भी हम तैयार हैं”। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों से आग्रह किया कि वे प्रजातांत्रिक व्यवस्था में आई विकृतियों को सुधारें और राष्ट्र को सही दिशा में आगे बढ़ाएं। “हमें अपने पिछले गलतियों को सुधारकर, अपनी प्रकृति और संस्कृति की रक्षा करते हुए आगे बढ़ना होगा”। पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र का यह संदेश नेपाल की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों की आलोचना करता है और प्रजातंत्र को सही मार्ग पर ले जाने के लिए सभी पक्षों को आत्ममंथन करने की आवश्यकता पर बल देता है।