क्रांति कुमार पाठक
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से सीट शेयरिंग पर बैठक के बाद भी समाजवादी पार्टी को एक भी सीटें नहीं मिलने से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच कलह मची हुई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव इसे लेकर बेहद ही नाराज हैं। उन्होंने बीते दिनों यहां तक कह दिया कि कांग्रेस ने हमें धोखा दिया है। ऐसे में जैसा व्यवहार कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ किया है, वैसा ही व्यवहार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ करेंगी। अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस के नेता इंडिया अलायंस के लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। मुझे पहले से यह पता होता कि कांग्रेस धोखा देगा, तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर भरोसा नहीं करते और न समाजवादी पार्टी के लोगों को उनके पास बैठक के लिए भेजता। जबकि कांग्रेस की ओर से मुझे आश्वासन दिया गया था कि छह सीटों पर आपके लिए सोचा गया है। लेकिन कांग्रेस ने जब 144 सीटों के उम्मीदवारों की सूची घोषित की तो उस सीट पर भी उसने अपना उम्मीदवार दे दिया जहां 2018 में समाजवादी पार्टी जीती थी।
अखिलेश यादव इसी आक्रोश में इंडिया अलायंस के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। इस तरह लोकसभा चुनाव में भाजपा को मात देने के लिए बनी विपक्षी दलों के इंडिया अलायंस में दरार दिखने लगी है। अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का नाम लिए बिना उन्हें चिरकुट तक कह दिया। उन्होंने कांग्रेस से कहा कि अपने चिरकुट नेताओं से हमारी पार्टी के बारे में न बुलवाएं। अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कोई हैसियत नहीं है। न तो वह पटना की बैठक में थे, न मुंबई की बैठक में थे। इंडिया अलायंस के बारे में वह क्या जानते हैं। उनकी हैसियत क्या है जो इस तरह की बातें बोल रहे हैं। उनसे पूछिए कि रात एक बजे तक उनके पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह व कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के साथ क्यों बैठक की। इस तरह कांग्रेस की तरफ से समाजवादी पार्टी को एक भी सीटें नहीं देने पर दोनों दलों के बीच एक तरह से तलवार खींच गई है।
दरअसल बीते दिनों दोनों नेता कानपुर में थे। यहां पर अखिलेश यादव के वार पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पलटवार किया था। इसी के बाद बयानबाजी तेज हो गई है। अब जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को एक भी सीट नहीं दी तो रार बढ़ गई है। अखिलेश यादव ने कानपुर में कहा था कि समाजवादी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। यह कांग्रेस को देखना है कि गठबंधन किस स्तर पर है। अगर गठबंधन प्रदेश के स्तर पर नहीं है तो देश के स्तर पर भी नहीं हो सकता है।
इस पर अखिलेश यादव को जवाब देते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि कांग्रेस अपने संकल्प पर चुनाव लड़ेगी। हमारी तैयारी उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की है। किंतु सीटों के बंटवारे और गठबंधन पर निर्णय पार्टी हाईकमान लेगा। जबकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला है। वहां समाजवादी पार्टी का कोई वजूद नहीं है। ऐसे में मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी उतारना उचित नहीं है। हां पिछले चुनाव में मध्यप्रदेश में समाजवादी पार्टी का एक विधायक अवश्य जीता था, लेकिन वह भी बाद में भाजपा में शामिल हो गया।
इस तरह मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच रार उनके नेताओं में दूरियां भी बढ़ा रही हैं। जिसके चलते विपक्षी गठबंधन इंडिया अलायंस में दरार बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के विवादित बयान इस मनमुटाव में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। वह लगातार अखिलेश यादव को नसीहत दे रहे हैं, जो सपा नेताओं को रास नहीं आ रहा है। इसी क्रम में अजय राय का कहना है कि उत्तर प्रदेश से बाहर समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में अपना आधार भी देखना चाहिए। पार्टी को अपनी जमीनी स्थिति को भी समझना चाहिए।
अजय राय ने कहा कि उत्तराखंड की बागेश्वर सीट पर हुए विधानसभा के उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी उतारा था, जिसका नुकसान कांग्रेस प्रत्याशी को उठाना पड़ा था। इसके बाद भी कांग्रेस ने बड़ा दिल दिखाया था। प्रदेश में घोसी सीट पर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने बढ़कर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दिया था और कांग्रेस नेताओं ने घोसी जाकर प्रचार किया था। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में सपा को सभी जगह पहले अपना आधार देखना चाहिए।
हालांकि आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर अजय राय ने प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन हकीकत यह भी है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी खींचतान के संकेत मिल रहे हैं। कांग्रेस नेता सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा करते आए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी कांग्रेस के पाले में बमुश्किल 10-12 सीटें ही देना चाहती है। ऐसे में दोनों ही दलों के नेता सीटों के बंटवारे को लेकर एक-दूसरे पर दबाव बनाते नजर आ रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में आने वाले दिनों में दोनों दलों के नेताओं के बीच खींचतान बढ़ने की संभावनाएं और बढ़ गई हैं।
ऐसे में उत्तर प्रदेश में ‘इंडिया अलायंस’ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की जिद के कारण ‘खतरे का निशान’ पार करता दिख रहा है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में जिस तरह की खटास समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच देखी जा रही है उसका असर अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भी पड़ना तय नजर आ रहा है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने को ‘अपर हैंड’ मानती है। यह बात कांग्रेस को काफी खल रही है, फिर जिस तरह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहा है उससे भी दोनों दलों के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में निश्चित रूप से अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इंडिया अलायंस का खेल खराब हो सकता है।