उत्तरकाशी टनल में मजदूरों को निकालने सुरंग में पहुंची रैट माइनर की टीम

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पतले पाइप में घुसकर ड्रिल करने में माहिर है रैट माइनर की टीम

Eksandeshlive Desk

उत्तरकाशी: चारधाम ऑलवेदर परियोजना की सिलक्यारा डंडालगांव सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए बचाव अभियान चल रहा है। आज 16वें दिन उम्मीद की जा रही है सभी मजदूर सकुशल बाहर आ जाएंगे। सोमवार से वर्टिकली ड्रिलिंग के साथ मैन्युअली हॉरिजॉन्टल खुदाई भी शुरू हो गया है। रैट माइनर की टीम सुरंग में मैन्युअल ड्रिलिंग के लिए जा चुकी है। इस टीम में 6 सदस्य है। एस्केप टनल में दो रैट माइनर जाएंगे। रैट माइनर की टीम में राकेश राजपूत, प्रसाद लोधी, बाबू दामोर, भूपेंद्र राजपूत, जैतराम ये पांच रैट माइनर केलपुरा टीकमगढ़ मध्य प्रदेश के निवासी हैं।‌ जबकि एक बिहार निवासी है। पिछले 16 दिनों से टनल के अंदर फंसे श्रमिकों का स्वास्थ्य ठीक है। लगातार पाइप के जरिए श्रमिकों को खाना पहुंचाया जा रहा है।  उधर, 16 दिन से फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मीटर की वर्टिकल ड्रिलिंग भी जारी है। इसमें अब तक 31 मीटर खुदाई हो चुकी है। इससे पहले, सिल्क्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को सोमवार सुबह काटकर बाहर निकाल लिया गया था। रविवार 26 नवंबर शाम से इसे प्लाज्मा कटर से काटा जा रहा था। पूरी रात यह काम चला। भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स और मद्रास सैपर्स की यूनिट इस काम में जुटी थी। सुबह जैसे ही कामयाबी मिली, ये लोग खुशी झूम उठे। अब उम्मीद की जा रही है कि इस जगह से फिर मैन्युअली ड्रिलिंग शुरू हो सकती है। टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लेने पीएम नरेंद्र मोदी के विशेष सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय के भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू भी पहुंचे।

अब रैट माइनर्स पर मैन्युअल ड्रिलिंग का दारोमदार
दिल्ली के खजूरी खास के रहने वाले मुन्ना अपने सहयोगी रैट माइनर्स के साथ सिल्क्यारा टनल साइट पर पहुंच चुके हैं। ये वर्कर रॉकवेल कंपनी में काम करते हैं। ये लोग मैन्युअल ड्रिलिंग के एक्सपर्ट वर्कर हैं। ये लोग 2-2 के ग्रुप में टनल पैसेज में जाएंगे और बची हुई 12 मीटर की हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग को हाथों से अंजाम देंगे। मुन्ना के मुताबिक, हम टनल के अंदर जाकर ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं।

क्या होते हैं रैट माइनर्स
पतले से पैसेज में अंदर जाकर ड्रिल करने वाले मजदूरों को रैट माइनर्स कहते हैं। इस तरह से ड्रिल करने के किए स्पेशल ट्रेनिंग, स्किल और काफी प्रैक्टिस की जरूरत होती है। ये रैट माइनर्स 8०० मिमी के पाइप में घुसकर ड्रिल करेंगे।

इंजीनियरों ने ड्रिलिंग मशीन का फंसा 13.9 मीटर लंबी ब्लेड निकाली

टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए सिल्क्यारा ​​​​छोर से अमेरिकन ऑगर मशीन के जरिए खुदाई करके रेस्क्यू पाइप डाले जा रहे थे। शुक्रवार यानी 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 10 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा था। मलबे में ड्रिलिंग मशीन का 13.9 मीटर लंबा ब्लेड फंसा था। इसे लेजर और प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाला गया।

ज्ञात हो की 12 नवंबर 2023 सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप से ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।