वैदेही सीता के जीवन-प्रसंगों को स्वर-लहरियों के माध्यम से डाॅ. नीतू कुमारी नूतन ने जीवंत किया

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अशोक वर्मा
पटना : अपनी स्वर लहरियों से देश- दुनिया में भारतीय कला, संस्कृति का परचम लहरा नित्य नयी कीर्तियाँ गढ़ रहीं राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजी गई प्रख्यात गायिका डाॅ. नीतू कुमारी नूतन ने गुरुवार की शाम बिहार संग्रहालय स्थित ओरिएंटेशन थियेटर में वैदेही सीता के जीवन पर आधारित लोकगीतों की मनोहारी प्रस्तुति से अद्भुत समाँ बाँध दिया, जिससे उपस्थित कलाप्रेमी भावविभोर हो गए। बिहार संग्रहालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सांगीतिक समारोह में डाॅ.नूतन अपनी गायन प्रस्तुति के लिए आमंत्रित थीं, जहाँ माता सीता के अवतरण से लेकर उनके धरती में समा जाने तक के समस्त प्रसंगों को लोकगीतों में पीरोकर जब डाॅ.नूतन ने अपनी स्वर- लहरियाँ बिखेरीं, तो पूरा वातावरण संगीत से गुंजायमान हो उठा। डाॅ.नूतन ने “राजा जनक हल चलावेंले, खेतवा जोतावेंले, धरती से सिया- धिया पावेंले, हियरा लगावेंले…” की मनभावन प्रस्तुति की, तब माता सीता के प्रकटीकरण का साक्षात दृश्य सुरों के माध्यम से उतर आया। फिर उन्होंने “मिथिला नगरिया में सियाजी जनम लिहली, सगरो बाजेला बधइया…” तथा “बधइया माँगे ननदी, सिया के बधइया..” जैसे पारंपरिक बधइया लोकगीतों को गाकर पारंपरिक लोक संस्कार व रीति-रिवाज की मनोरम झाँकी प्रस्तुत की। अपने दो घंटे की गायिकी में उन्होंने माता सीता के संपूर्ण जीवन को अपनी स्वरात्मक अभिव्यक्ति से जीवंत कर दर्शक- श्रोताओं पर सुरों की ऐसी रसवर्षा की कि सभी उनकी प्रतिभा के कायल हो गए। डाॅ.नूतन ने वैदेही सीता के बाल्यकाल से लेकर यौवनकाल व धरती में समा जाने तक घटित सभी प्रसंगों को अपनी संगीत- रचना व स्वर-लहरियों से साकार कर वातावरण को विरह एवं भक्ति-भाव से ओत-प्रोत कर दिया।डाॅ.नूतन के साथ अमरनाथ, अमरकांत, अंजलि व राजश्री ने बेहतरीन स्वर देकर इस सांगीतिक शाम को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया। वहीं संगत कलाकारों में राजन ने हारमोनियम, भोला ने ढोलक, आशीष कुमार ने तबला, सलीम ने बाँसुरी तथा ऋषिराज ने प्रकशन पर अपने शानदार वादन से खूब वाह-वाही बटोरी।
उक्त अवसर पर बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक अशोक कुमार सिन्हा, पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ. संजय पासवान, डाॅ. अवधेश प्रधान एवं डाॅ.पूनम सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।