विद्यार्थियों की सफलता से बड़ा गुरूओं के लिए और कोई उपहार नहीं हो सकता: विजयंत कुमार

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ए ला एंग्लाइज स्कूल के छात्र स्वप्निल का आईआईटी में प्रवेश, विद्यालय परिवार ने किया सम्मानित, जताया हर्ष, दी बधाई

Eksandeshlive Desk
भुरकुंडा (रामगढ़):
सफलता का कोई शॉटकट नहीं होता इसके लिए सिर्फ और सिर्फ मेहनत करने की जरूरत होती है। परिश्रम के बल पर हर मुकाम को पाया जा सकता है। लक्ष्य का निर्धारण कर तैयारी करने वालों को सफलता जरूर मिलती है। इन उक्तियों को चरितार्थ किया है ए ला एंग्लाइज स्कूल के 12वीं का छात्र स्वप्निल कुमार ने पहली बार में ही जी एडवांश परीक्षा में सफलता अर्जित कर। स्वप्निल कुमार बलकुदरा निवासी प्रयाग साहु व चंचला रानी के पुत्र है। स्वप्निल के पिता प्रयाग साहु विदेश में कार्यरत हैं। छात्र की सफलता पर सोमवार को बिरसा चौक भुरकुंडा स्थित ए ला एंग्लाइज सीनियर सेकेंडरी विद्यालय में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें विद्यालय के प्रार्चाय विजंयत कुमार ने बताया की स्वप्निल सत्र 2022-24 में 12वीं का छात्र था। जिन्होंने बिना किसी कोचिंग के जी एडवांश की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया है। कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम है कि स्वप्निल जी मेन्स परीक्षा में ऑल इण्डिया रैकिंग 6467, जी एडवांश में ऑल इण्डिया रैकिंग 8439 और ओबीसी श्रेणी में 1811 रैंक प्राप्त किया है। जो भारत के किसी भी बड़ी संस्थान में आईआईटी में नामांकन के लिए योग्यता रखते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की सफलता ही गुरूओं के लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। स्वप्निल की सफलता से क्षेत्र और विद्यालय गौरवांवित हुआ है। प्रार्चाय श्री कुमार ने सफल छात्र स्वपनिल को उपहार स्वरूप पेन डायरी देकर सम्मानित करते हुए मिठाई खिलाकर बधाई दी। साथ ही हर्ष व्यक्त करते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। इधर स्वपनिल ने बताया की बचपन से ही मेरा पसंदीदा विषय गणित और भौतिक शास्त्र रहा है। आगे आईआईटी के साथ रिसर्च के क्षेत्र में काम करना चाहता हूं। संस्थान में पढ़ाई के बारे में पुछे जाने पर छात्र ने आईआईटी रुढ़की में पढ़ने की इच्छा जाहिर की। प्रेस कांफ्रेंस के बाद स्वपनिल ने 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को सफलता का मूल मंत्र देते हुए कहा कि सफलता के लिए जुनून होना चाहिए। मोबाईल के दुरोपयोग से बचे और समय सारणी के अनुसार प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करें। नोट्स बनाएं शॉर्ट नोट्स बहुत कारगर है। कक्षा के कार्य को कक्षा में ही पूर्ण करें। गृह कार्य को घर पर ही पूरा करें। उन्होंने कहा कि जांच परीक्षा को अत्यंत उपयोगी समझें। बिना घबराहट के शिक्षकों से अपनी कमियों को साझा करें। परीक्षा में हो रही कमियों की खुद समीक्षा कर स्वयं हल करने का प्रयास करें, यदि आवश्यक हो तो शिक्षक-शिक्षिकाओं से सहयोग भी लें। छात्र ने कहा कि 12वीं की पढ़ाई दिसंबर तक पूर्ण कर प्रतियोगी परीक्षाओं की टेस्ट सीरीज पर ध्यान दें। बच्चों की जिज्ञासा हेतु उसने अपना मोबाइल नंबर भी साक्षा किया। स्वपनिल ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं का सही मार्ग दर्शन और अपनी कठिन परिश्रम को दी है। स्वपनिल की सफलता पर विद्यालय परिवार ने मिठाई खिला कर भविष्य में बेहतर उपलब्धि हासिल के लिए शुभकामनाएं और बधाईयां दी। प्रेस कांफ्रेंस में प्रार्चाय विजयंत कुमार, स्वपनिल की माता चंचला रानी, शिक्षक बिदेंश ओझा, निरंजन दुबे, वैभव कुमार, धर्मेश सोनी आदि शिक्षक शामिल थें।