वन नेशन, वन इलेक्शन को जनांदोलन बनाने की जरूरत: सांसद मनीष जायसवाल

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Eksandesh Desk

हजारीबाग: वन नेशन वन इलेक्शन की प्रस्तावित व्यवस्था को एक जन आंदोलन बननी चाहिए क्योंकि यह प्रत्येक नागरिक को प्रभावित करने वाला विषय है। उक्त बातें हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने कही। वह शनिवार को विभावि के विवेकानंद सभागार में बतौर मुख्य अतिथि इस विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। श्री जायसवाल ने कहा की इस व्यवस्था का उद्देश्य है लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एक साथ करवाना। स्वतंत्रता के समय से 1967 तक भारत में वन नेशन वन इलेक्शन की ही व्यवस्था लागू थी । परंतु उसके बाद उस समय की सरकारों ने राजनीतिक हित के लिए बार-बार अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग किया। कई राज्य में सरकार गिरा दिए गए जिससे इस व्यवस्था को ध्वस्थ कर दिया गया। सांसद ने बताया कि वर्तमान समय में वर्ष भर कहीं ना कहीं निर्वाचन होती रहती है और उसका खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है तथा इससे हो रही असुविधा पर नागरिक अपने जनप्रतिनिधियों से शिकायत  करते हैं परंतु दुर्भाग्य से जनता ने कभी इसका प्रतिकार नहीं किया और इसके विरुद्ध कभी जन आंदोलन नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि अब जब वर्तमान सरकार ने इस बोझिल चुनाव प्रक्रिया को समाप्त कर एक राष्ट्र एक निर्वाचन के विचार को लाई है, तो नागरिकों को इसे समझना होगा। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इस समिति ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। जाने-माने अधिवक्ता पीपी चौधरी ने यहां तक कहा कि वह प्रत्येक राज्य में जाकर नागरिकों से इस संबंध में सुझाव इकट्ठा करेंगे। सांसद ने वन नेशन वन इलेक्शन के क्या फायदे हैं उस पर प्रकाश डाला तथा कहा कि इससे भ्रष्टाचार और महंगाई से निजात मिलेगा। आचार संहिता लागू होने से सरकारी तंत्र को बहुत नुकसान होता है जिससे आम लोग परेशान होते हैं। यह भी समझना होगा कि एक राज्य में चुनाव होने से दूसरे राज्य भी कई प्रकार से प्रभावित होते है। आलोचक तो फिर भी कुछ बिंदु निकालने का प्रयास करेंगे। देश के लोगों को किसी बहकावे में नहीं आना है किसी अफवाह पर भरोसा नहीं करना है। उन्होंने आह्वान किया कि देश के लोग इसके उद्देश्यों पर ध्यान दें, उसे समझ और देश के विकास में खुलकर सहयोग करने का संकल्प ले। अंत में उन्होंने जब सदन से पूछा कि कौन-कौन वन नेशन वन इलेक्शन के समर्थन में है तो लगभग सभी लोगों ने हाथ उठाकर अपना समर्थन व्यक्त किया।