आईफोन और एंड्रॉयड फोन दोनों के बीच जमीन और आसमान का फर्क हैं, iOS और Android दोनों ही टेबलेट और मोबाइल फोन के OPERATING SYSTEM हैं जो अलग-अलग दिग्गज कंपनियों द्वारा तैयार किए गए हैं. बात करें भारत में मोबाइल मार्केटिंग कि तो 2012-2022 के आंकड़े बताते हैं कि आइओएस का 3.92 प्रतिशत है. वहीं, एंड्रॉयड का 95.26 प्रतिशत है. सवाल ये है कि सबसे बड़ा मार्केट एंड्रॉयड का है फिर भी आईफोन का क्रेज लोगों के बीच इतना क्यों है? एंड्रॉयड फोन के मुकाबले में आईफोन काफी महंगा है दोनों के फीचर्स और दाम में क्या अंतर है? चलिए पूरा समझते हैं.
Android और IOS को समझने से पहले हमें OS को समझना होगा
मोबाइल हो या कंप्यूटर इसे बनाकर तैयार करने में मुख्य 3 चीजों की जरुरत पड़ती है. पहला Hardware दूसरा Software और तीसरा OS (Operating System). मोबाइल में लगे हार्डवेयर जैसे स्पीकर, बैटरी, मेमोरी यूनिट (रैम, रोम), कैमरा, डिस्प्ले (एलसीडी, टच स्क्रीन), माइक्रोफोन इन सभी को आपस में जोड़ दिया जाए तो मोबाइल बन कर तैयार तो हो जाएगा पर कोई एप्प यूज नहीं कर पाएंगे. फोन को पूरी तरह चालू करने के लिए उसमें सॉफ्टवेयर और OS का होना बहुत जरूरी होता है.
क्या है OS (Operating System) और क्यों है इतना खास !
मोबाइल में लगे हार्डवेयर और उसको रन ( RUN ) कराने वाले सॉफ्टवेयर में आपस में कम्युनिकेश्न कराने के लिए Operating System की जरूरत पड़ती है इसलिए मोबाइल हो या कम्प्यूटर इसे चलाने के लिए Operating System का होना बहुत जरूरी है. सारे एप्लीकेशन जैसे युट्युब, व्हाट्सएप, फेसबुक इन सभी को रन (RUN) कराने के लिए एक सिस्टम सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है. जिसे OS या Operating System कहते हैं. आपको बता दें, यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके ऊपर ही सारे सॉफ्टवेयर रन (RUN) होते हैं. इस प्लेटफॉर्म के बिना किसी भी सॉफ्टवेयर को रन (RUN) नहीं किया जा सकता है.
Android और IOS दोनों के OS (Operating System) में क्या फर्क है?
बात करें Android मोबाइल की तो यह Android OS पर वर्क करता है. वहीं, आईफोन की तो यह iOS प्लेटफॉर्म पर वर्क करता है. दोनों का अपना-अपना OS होने के कारण ही दोनों का इंटरफेस एक जैसा नहीं दिखता है. iOS और Android दोनों ही टेबलेट और मोबाइल फोन के OPERATING SYSTEM हैं जो कई अलग-अलग दिग्गज कंपनियों द्वारा तैयार किए गए हैं.
Android OS और iPhone iOS का कैसा रहा सफर
एंड्राइड OS, मोबाइल को नजर में रखते हुए डिजाइन किया गया था, ताकि फोन के सभी फंक्शन और एप्लीकेशन को बहुत ही आसानी से चलाया जा सके. Android को बनाने वाले शख्स है एंड रूबी जिन्होंने इसे 2003 में बनाया था और 2005 में गूगल ने उसे खरीद लिया था. साथ ही गूगल ने इसे “एंड्राइड ओपन सोर्स” के नाम से रजिस्टर करवाया. एंड्राइड ओपन सोर्स होने के बाद गूगल ने इसे दूसरे मोबाइल कंपनियों के साथ भी बेचने लगा. यही कारण है कि बाजार में आ रही सभी Android मोबाइल फोन जैसे oppo, vivo, xiaomi, Samsung, Motorola फोन में हमें गूगल के एप्प पहले से उपलब्ध मिलते हैं. अब बात करते है एप्पल कि तो वो फोन की दुनिया में सबसे बड़ी और शक्तिशाली कंपनियों में से एक है. शुरुआती दौर में यह कंपनी लड़खड़ा गई जिसके बाद आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा था. इसके बाद कुछ ही वर्ष में ऐसी लोकप्रियता हासिल की जो आज पूरी दुनिया देख रही है. बता दें, कैमरा बनाने वाला एप्पल पहला कंपनी था. Apple Company की स्थापना 1 अप्रैल 1976 में हुई थी. इस कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स थे. 1985 में इनको अपने ही कंपनी से बेदखल कर दिया गया था और लगभग 16 वर्ष बाद 1996 में फिर से उन्हें वापसी करने का मौका मिला. 56 वर्ष के स्टीव जॉब्स, जिनका 5 अक्टूबर 2011 को निधन हो गया. निधन का 11 वर्ष से अधिक होने के बावजूद ये कंपनी साल दर साल ऊंचाइयों को छू रहा है.
एंड्राइड OS का पहला वर्जन कब आया और कैसा था इंटरफेस
मोबाइल फोन हो या किसी भी तरह का सॉफ्टवेयर, इन सभी में अपडेट का होना बहुत जरुरी होता है. अपडेट होने के बाद कुछ नए बदलाव आ जाते हैं. स्वाभाविक सी बात है अपडेट अगर नहीं होगा तो एक ही चीज को लम्बे समय तक यूज करने पर यूजर उबने लगते हैं. बता दें, 2003 में एंड्राइड OS का वर्जन 1.5 कप केक नाम से था. जिसकी लोकप्रियता को देखते हुए 2005 में गूगल ने एंड्राइड OS को खरीद लिया. खरीदने के चार साल बाद 2009 में अपना पहला अपडेट अपने यूजर के लिए लॉन्च कर दिया. जिसका नाम रखा एंड्राइड डोनट 1.6 और यह अपडेट यूजर्स को अपनी ओर आकर्षित किया जिसके बाद यूजर एंड्राइड पर स्वीच करने लगे थे. आईफोन और नोकिया सिबियन का मार्केट डाउन हुआ. जिसके 6 महीने बाद ही 2010 में एंड्राइड OS ने अपना दूसरा वर्जन एंड्राइड इक्लेयर 2.0 लॉन्च कर दिया. देखते-देखते जनवरी 2023 में एंड्राइड OS ने अपना एंड्राइड तिरामिसू 13.0 लॉन्च कर दिया.
Android OS और IOS दोनों के परफॉर्मेंस कितना फर्क है?
आपको बता दें, एक अच्छा एंड्राइड फोन और आईफोन के परफॉर्मेंस में ज्यादा अंतर नहीं होता है. दोनों के स्पेसिफिकेशन लगभग सामान्य ही होते हैं. दोनों का अपना-अपना एप्प स्टोर है. एंड्राइड OS का Google Play Store के नाम से हैं जहां आपको बहुत सारे एप्प देखने को मिल जाता है. कुछ फ्री एप्प हैं तो किसी एप्प के लिए पैसे देने होते हैं. एंड्राइड OS का एप्प इंस्टॉल करने के लिए आपसे काफी सारे परमिशन “ऑन” करने की अनुमति मांगता है जैसे – माइक्रोफोन, गैलरी, इमेज, कैमरा, कांटेक्ट नंबर और लोकेशन.
बात करें Apple ios की तो इसका अपना एप्प स्टोर है जिसका नाम है Apple Store एप्प. इस स्टोर से आप कुछ गिने चुने एप्प ही इंस्टॉल कर सकते हैं. एंड्राइड OS में आप थर्ड पार्टी एप्प इंस्टॉल कर सकते हैं पर Apple ios में आप Apple Store के अलावा कहीं से थर्ड पार्टी एप्प को इंस्टॉल नहीं कर सकते हैं. Apple ios एक close source कंपनी है इसके बहुत सारे सख्त नियम कानून है यही कारण है कि Apple अपने एप्प store के अलावा कहीं से भी थर्ड पार्टी एप्प को इंस्टॉल करने की अनुमति नहीं देता है.
अब बात करते हैं भारत में Android OS और Apple iOS फोन की दामों पर
हमने ऊपर ही आपको भारत में मोबाइल मार्केटिंग के साल 2012-2022 के आंकड़े बता दिए हैं. आईओएस का 3.92 प्रतिशत है. वहीं, एंड्रॉयड का 95.26 प्रतिशत है. I-Phone ने सिक्योरिटी के मामले में सभी OS को पीछे छोड़ दिया है. दिखने में प्रिमियम तो है साथ ही यूजर को प्रिमियम फील भी करवाता है. बहुत सारे गुण होने के बावजूद भारत में एप्पल फोन के एंड्राइड फोन जितने यूजर नहीं हैं. इसका एक ही कारण है. भारत में एंड्राइड फोन 4,000 से शुरू हो जाता है वहीं बात करे एप्पल की तो यह फोन लगभग 30,000 से शुरू होते हैं. ज्यादा कीमत होने के कारण आंकड़े बताती हैं कि भारत में एंड्राइड फोन की तुलना एप्पल फोन के कम यूजर हैं.